5 Signs Of ADHD In Girls: एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है जो ध्यान केंद्रित करने, स्थिर रहने और आत्म-नियंत्रण में कठिनाई उत्पन्न करता है। यह विकार बच्चों के साथ-साथ वयस्कों को भी प्रभावित करता है। हालांकि, लड़कियों में इसके लक्षण लड़कों से अलग हो सकते हैं, जिससे इन्हें अक्सर नजरअंदाज या गलत समझ लिया जाता है। यही कारण है कि लड़कियों में एडीएचडी की पहचान और उपचार में देरी हो जाती है, जिससे उनकी जिंदगी पर गहरा असर पड़ता है। इन लक्षणों की समय पर पहचान कर सही मदद से हम उनकी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
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1. आसानी से ध्यान भटकना
लड़कियों में एडीएचडी का पहला लक्षण है आसानी से ध्यान भटकना। एडीएचडी वाली लड़कियाँ अक्सर अपनी पढ़ाई, होमवर्क या किसी भी अन्य गतिविधि में ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल महसूस करती हैं। थोड़ी सी भी हलचल या शोर से उनका ध्यान भटक जाता है। वे अक्सर महत्वपूर्ण चीज़ें भूल जाती हैं और अपना काम अधूरा छोड़ देती हैं।
2. अकेलापन महसूस करना
लड़कियों में एडीएचडी का दूसरा लक्षण है अकेलापन महसूस करना। एडीएचडी वाली लड़कियाँ अक्सर खुद को दूसरों से अलग महसूस करती हैं और सामाजिक गतिविधियों में शामिल होने में मुश्किल होती है। वे अपने आप में खोई रहती हैं और दूसरों के साथ जुड़ने में मुश्किल महसूस करती हैं। यह आत्मविश्वास की कमी और सामाजिक कौशल की कमी का संकेत हो सकता है।
3. भूलने की आदत
तीसरा लक्षण है भूलने की आदत। एडीएचडी वाली लड़कियाँ अक्सर चीज़ें भूल जाती हैं, चाहे वह स्कूल की असाइनमेंट हो, घरेलू काम हो, या कोई अन्य महत्वपूर्ण चीज़। वे अपने कामों को समय पर पूरा करने में मुश्किल महसूस करती हैं और अक्सर अपनी जिम्मेदारियों को भूल जाती हैं।
4. बहुत ज्यादा बात करना
चौथा लक्षण है बहुत ज्यादा बात करना। एडीएचडी वाली लड़कियाँ अक्सर बिना रुके बातें करती हैं और अपनी बातों को नियंत्रित नहीं कर पाती हैं। वे अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत करते समय ज्यादा उत्तेजित हो जाती हैं और दूसरों की बात सुनने में मुश्किल महसूस करती हैं।
5. भावनाओं पर काबू नहीं
पाँचवाँ लक्षण है भावनाओं पर काबू नहीं रख पाना। एडीएचडी वाली लड़कियाँ अक्सर छोटी-छोटी बातों पर बहुत ज्यादा भावुक हो जाती हैं। उनकी भावनात्मक प्रतिक्रियाएं बहुत तेज होती हैं और वे गुस्सा, उदासी या खुशी को नियंत्रित नहीं कर पाती हैं। यह उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
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