नींद न आने की समस्या को दूर करने के लिए अपनाएँ ये आयुर्वेदिक तरीके

नींद न आने की समस्या को दूर करने के लिए अपनाएँ आयुर्वेदिक तरीके। जानें कैसे सही खानपान, दिनचर्या, जड़ी-बूटियाँ और अन्य उपाय आपकी नींद को बेहतर बना सकते हैं।

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Vaishali Garg
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Ayurvedic Ways to Overcome Sleep Problems Naturally: आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में अच्छी नींद लेना एक चुनौती बन चुका है। कई लोग रातभर करवटें बदलते रहते हैं और ठीक से सो नहीं पाते। क्या यह समस्या केवल तनाव की वजह से होती है? नहीं, इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे असंतुलित दिनचर्या, अनुचित खानपान, मोबाइल और लैपटॉप का अधिक इस्तेमाल, या फिर शरीर में दोषों का असंतुलन। ऐसे में आयुर्वेद के अनुसार किन उपायों से नींद की समस्या को दूर किया जा सकता है?

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नींद न आने की समस्या को दूर करने के लिए अपनाएँ ये आयुर्वेदिक तरीके

क्या वात दोष नींद न आने का कारण बन सकता है?

आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ इन तीन दोषों को शरीर की मूल प्रकृति माना जाता है। जब इनका संतुलन बिगड़ता है, तो शरीर में कई समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं। नींद की समस्या मुख्य रूप से वात दोष के असंतुलन से जुड़ी होती है। वात दोष बढ़ने पर मन अधिक सक्रिय रहता है, बेचैनी बढ़ जाती है और गहरी नींद नहीं आ पाती। ऐसे में वात को संतुलित करने के लिए क्या किया जा सकता है? तेल मालिश (अभ्यंग), गर्म दूध का सेवन और ध्यान जैसी विधियाँ वात को शांत करके गहरी नींद लाने में मदद कर सकती हैं।

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क्या सोने से पहले कुछ विशेष जड़ी-बूटियाँ लेना फायदेमंद है?

आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियाँ बताई गई हैं जो मानसिक शांति और अच्छी नींद लाने में सहायक होती हैं। अश्वगंधा, ब्राह्मी और शंखपुष्पी जैसी जड़ी-बूटियाँ मन को शांत करती हैं और अनिद्रा की समस्या को दूर करने में सहायक होती हैं। क्या रात में एक गिलास दूध में अश्वगंधा मिलाकर पीना फायदेमंद हो सकता है? हाँ, यह मस्तिष्क को आराम देने में मदद करता है और नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है।

क्या सोने से पहले मोबाइल का इस्तेमाल आपकी नींद खराब कर सकता है?

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आजकल लोग सोने से ठीक पहले मोबाइल फोन या लैपटॉप इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या वे जानते हैं कि इससे उनकी नींद पर बुरा असर पड़ सकता है? स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन को बाधित करती है, जो शरीर की प्राकृतिक नींद की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। क्या इसका समाधान यह हो सकता है कि सोने से कम से कम एक घंटे पहले स्क्रीन से दूरी बना ली जाए? यह एक प्रभावी तरीका हो सकता है जिससे दिमाग को आराम मिलता है और नींद बेहतर होती है।

क्या भोजन की आदतें भी नींद को प्रभावित करती हैं?

भोजन का सीधा संबंध नींद की गुणवत्ता से होता है। क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि मसालेदार, तला-भुना या भारी भोजन करने के बाद आपको बेचैनी महसूस होती है और अच्छी नींद नहीं आती? आयुर्वेद में रात के भोजन को हल्का और सुपाच्य रखने की सलाह दी जाती है। खिचड़ी, मूंग दाल या दूध से बनी चीज़ें पाचन को आसान बनाती हैं और गहरी नींद लाने में मदद करती हैं।

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क्या सही दिनचर्या अपनाने से अनिद्रा की समस्या दूर हो सकती है?

अगर दिनभर की भागदौड़ के बाद भी आप सही समय पर सो नहीं पाते, तो क्या यह आपकी दिनचर्या का दोष नहीं हो सकता? आयुर्वेद के अनुसार, शरीर का अपना एक प्राकृतिक चक्र होता है, जिसे दिनचर्या से संतुलित रखा जा सकता है। हर दिन एक निश्चित समय पर सोना और जागना, हल्की एक्सरसाइज़ करना और ध्यान-प्राणायाम जैसी आदतें अपनाने से अनिद्रा की समस्या दूर की जा सकती है।

अच्छी नींद के लिए आयुर्वेद को अपनाना क्यों जरूरी है?

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आधुनिक जीवनशैली के कारण कई लोग नींद की गोलियों का सहारा लेने लगे हैं, लेकिन क्या यह सही तरीका है? आयुर्वेदिक उपाय न सिर्फ प्राकृतिक हैं बल्कि इनका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता। सही खानपान, जड़ी-बूटियाँ, दिनचर्या और तनावमुक्त जीवनशैली अपनाकर नींद की समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं, तो क्या अब समय नहीं आ गया कि आप आयुर्वेदिक उपायों को अपनाकर अपनी नींद की गुणवत्ता में सुधार करें।

Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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