Balancing Hormones: प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं? इन 10 हार्मोन्स का संतुलन है जरूरी

प्रेग्नेंसी की योजना बनाना एक महत्वपूर्ण निर्णय है, जिसमें शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार रहना जरूरी है। गर्भधारण में हार्मोन्स की भूमिका बहुत अहम होती है। हार्मोन्स न केवल प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं

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Priyanka upreti
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Balancing these 10 hormones is essential: प्रेग्नेंसी की योजना बनाना एक महत्वपूर्ण निर्णय है, जिसमें शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार रहना जरूरी है। गर्भधारण में हार्मोन्स की भूमिका बहुत अहम होती है। हार्मोन्स न केवल प्रजनन क्षमता को प्रभावित करते हैं, बल्कि गर्भधारण और भ्रूण के विकास के लिए भी जरूरी होते हैं। यदि आप प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं, तो निम्न 10 हार्मोन्स का संतुलन बनाए रखना जरूरी है।

प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं? इन 10 हार्मोन्स का संतुलन है जरूरी

1. एफएसएच (फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन)

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एफएसएच महिलाओं में अंडाणु (एग) के विकास के लिए जिम्मेदार होता है। इसकी अनियमितता प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती है।

2. एलएच (ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन)

यह हार्मोन ओवुलेशन के लिए जरूरी होता है। एलएच के स्तर में कमी या असंतुलन से गर्भधारण में समस्या हो सकती है।

3. एस्ट्रोजन

महिलाओं में यह प्रमुख हार्मोन है, जो गर्भाशय को गर्भधारण के लिए तैयार करता है। एस्ट्रोजन का सही स्तर गर्भधारण की संभावना को बढ़ाता है।

4. प्रोजेस्टेरोन

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यह हार्मोन गर्भधारण को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है। प्रोजेस्टेरोनकी कमी गर्भपात का कारण बन सकती है।

5. प्रोलैक्टिन

यह हार्मोन स्तनपान के लिए जिम्मेदार होता है, लेकिन इसका अत्यधिक स्तर ओवुलेशन को रोक सकता है। इसका सही संतुलन जरूरी है।

6. टेस्टोस्टेरोन

हालांकि यह पुरुष हार्मोन है, लेकिन महिलाओं में भी इसकी छोटी मात्रा प्रजनन क्षमता के लिए जरूरी होती है। अधिक या कम टेस्टोस्टेरोन स्तर प्रजनन में समस्या पैदा कर सकता है।

7. टीएसएच (थायरॉयड स्टिमुलेटिंग हार्मोन)

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थायरॉयड हार्मोन का असंतुलन प्रेग्नेंसी की संभावना को कम कर सकता है। हाइपोथायरॉयडिज्म या हाइपरथायरॉयडिज्म प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

8. एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन)

यह हार्मोन प्रेग्नेंसी के दौरान बनता है और भ्रूण के विकास के लिए जिम्मेदार होता है। इसका सही स्तर प्रेग्नेंसी को बनाए रखने में मदद करता है।

9. इंसुलिन

इंसुलिन हार्मोन का असंतुलन पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम) और ओवुलेशन की समस्याओं का कारण बन सकता है।

10. एएमएच (एंटी-मुलरियन हार्मोन)

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यह हार्मोन अंडाशय में मौजूद अंडाणुओं की संख्या का संकेत देता है। इसका संतुलन गर्भधारण के लिए अहम है।