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Hormonal Changes: हर प्रेग्नेंट महिला को पता होने चाहिए प्रेगनेंसी में होने वाले ये हार्मोनल चेंजेस

गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कई महत्वपूर्ण हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो शिशु के विकास और मां के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं। ये हार्मोन न केवल शरीर को गर्भावस्था के लिए तैयार करते हैं, बल्कि शारीरिक और मानसिक बदलावों का कारण भी बनते हैं।

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Priyanka upreti
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How does PCOD affects pregnancy

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Pregnant woman should know about these hormonal changes during pregnancy: गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कई महत्वपूर्ण हार्मोनल बदलाव होते हैं, जो शिशु के विकास और मां के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं। ये हार्मोन न केवल शरीर को गर्भावस्था के लिए तैयार करते हैं, बल्कि शारीरिक और मानसिक बदलावों का कारण भी बनते हैं। 

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हर प्रेग्नेंट महिला को पता होने चाहिए प्रेगनेंसी में होने वाले ये हार्मोनल चेंजेस

1. एचसीजी (HCG) हार्मोन का बढ़ना

एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) गर्भावस्था के दौरान सबसे पहले बढ़ने वाला हार्मोन है। यह हार्मोन गर्भावस्था की पुष्टि करने में मदद करता है. एचसीजी हार्मोन की मौजूदगी से ही गर्भावस्था की पुष्टि होती है. गर्भावस्‍था के दौरान भ्रूण के विकास के लिए इस हार्मोन का उत्‍पादन होता है। प्रेग्‍नेंसी का पता लगाने और उसे बनाए रखने के लिए एचसीजी हार्मोन अहम भूमिका निभाता है। गर्भवती महिलाओं में एचसीजी का स्‍तर बहुत ज्‍यादा रहता है।

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2. प्रोजेस्टेरोन का उच्च स्तर

प्रोजेस्टेरोन का स्तर गर्भावस्था के दौरान तेजी से बढ़ता है। यहहार्मोन गर्भाशय को शिशु के लिए तैयार करता है और गर्भावस्था को बनाए रखने में मदद करता है। हालांकि, इसका बढ़ा हुआ स्तर थकान, कब्ज, और मूड स्विंग जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।

3. एस्ट्रोजन का प्रभाव

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गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन कई गुना बढ़ जाता है। यह शिशु के अंगों के विकास, ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने, और प्लेसेंटा के कार्य को सुचारू बनाने में मदद करता है। हालांकि, यह हार्मोन त्वचा पर पिग्मेंटेशन, बालों की स्थिति में बदलाव और भावनात्मक अस्थिरता का कारण भी बन सकता है।

4. ऑक्सीटोसिन का स्राव

ऑक्सीटोसिन को "लव हार्मोन" कहा जाता है। यह हार्मोन गर्भाशय के संकुचन में मदद करता है और प्रसव के दौरान और बाद में शिशु और मां के बीच एक मजबूत भावनात्मक संबंध बनाता है। प्रसव के दौरान इसका स्तर अधिक होता है और यह स्तनपान प्रक्रिया को भी सुगम बनाता है।

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5. रिलैक्सिन हार्मोन का बढ़ना

गर्भावस्था के दौरान रिलैक्सिन हार्मोन का स्तर बढ़ता है। यह पेल्विक मसल्स और जोड़ो को रिलैक्स करता है, जिससे डिलीवरी के समय शरीर तैयार होता है। हालांकि, इसके कारण जोड़ों में लचीलापन और कभी-कभी दर्द भी हो सकता है।

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