Bollywood films that talks about Sexual Health: बॉलीवुड मूवीज हमेशा समाज को अनेक मुद्दों पर सोचने और विचार करने के लिए प्रेरित करती हैं। इनमें से एक मुख्य विषय है, सेक्सुअल स्वास्थ्य जिसके बारे में बात करना समाज के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे उन बॉलीवुड मूवीज के बारे में जो समाज में सेक्सुअल हैल्थ को लेकर जागरूकता फैलाते हैं।
जरूर देखें यह बॉलीवुड मूवीज
1. Chhatriwali
रकुल प्रीत सिंह की छत्रीवाली फिल्म एक युवा महिला के इर्द गिर्द घूमती है जो युवाओं को कंडोम के बारे में शिक्षित करना चाहती है। लेकिन उसे कई समस्याओं और परेशानियों का समाना करना पड़ता है। उसे समाज और घर वालो का सपोर्ट नहीं मिलता, फिर भी वह समाज को जागरूक करने के लिए कई प्रयत्न करती है।
2. Janhit Mai Jari
ड्रीम गर्ल के निर्देशक राज शांडिल्य द्वारा लिखित, जनहित में जारी एक छोटे शहर की महिला की कहानी है, जो सुरक्षित नौकरी पाने में असफल होने पर कंडोम विक्रेता की नौकरी करती है। उसका यह पेशा उसके जीवन की एक बड़ी समस्या बन जाता है, जिससे उसके परिवार वाले उसके खिलाफ हो जाते हैं।
3. Doctor G
फिल्म एक मेडिकल छात्र के जीवन पर आधारित है जो आर्थोपेडिक्स में पढ़ाई करना चाहता है लेकिन जीवन की अजीबोगरीन घटनाएं उसे स्त्री रोग विशेषज्ञ विभाग में पहुंचा देती है। फिल्म कम उम्र की प्रेगनेंसी और सेक्सुअल एजुकेशन के बारे में बात करती है।
4. Shubh Mangal Saavdhan
आयुष्मान खुराना ने 2017 में शुभ मंगल सावधान नामक रोमांटिक ड्रामा के लिए भूमि पेडनेकर के साथ मिलकर काम किया। फिल्म एक प्यारे जोड़े के इर्द-गिर्द घूमती है, जिनके रिश्ते में खतरनाक मोड़ तब आता है जब लड़के को इरेक्टाइल डिस्फंक्शन इश्यू के बारे में पता चलता है।
5. Dr. Arora- Gupt Rog Visheshagya
जाने-माने फिल्म निर्माता इम्तियाज अली द्वारा निर्मित, डॉ. अरोड़ा- गुप्त रोग विशेषज्ञ एक रोमांचक शो है जो कुमुद मिश्रा नामक एक सेक्सोलॉजिस्ट के इर्द-गिर्द घूमता है। यह शो पुरुषों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं और सेक्सोलॉजिस्ट से परामर्श लेने से पहले और बाद के मुद्दों पर प्रकाश डालने पर केंद्रित है।
6. Khandaani Shafakhana
एक छोटे शहर पर आधारित यह फिल्म एक खुशमिजाज लड़की बबीता बेदी के जीवन पर आधारित है, जो अपने चाचा के प्रजनन क्लिनिक को चलाने की जिम्मेदारी लेती है। लेकिन चीजें यू-टर्न लेती हैं क्योंकि मरीज़ किसी महिला के सामने अपने यौन मुद्दों को साझा करने में सहज महसूस नहीं करते हैं। यह फिल्म समाज की इसी विडंबना को दर्शाती है।