मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को शारीरिक असुविधाओं के साथ-साथ मानसिक और भावनात्मक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। हार्मोनल बदलावों के कारण मूड स्विंग्स, तनाव, चिड़चिड़ापन और यहां तक कि डिप्रेशन जैसी समस्याएं आम हैं। इनसे निपटने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
पीरियड्स के दौरान मेंटल हेल्थ का ध्यान कैसे रखें?
1. अपनी भावनाओं को समझें और स्वीकारें
पीरियड्स के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण मूड स्विंग्स होना स्वाभाविक है। इन भावनाओं को दबाने की बजाय स्वीकार करें। खुद को यह याद दिलाएं कि यह अस्थायी है और कुछ दिनों में यह स्थिति सामान्य हो जाएगी।
2. स्वस्थ आहार लें
आपके आहार का सीधा प्रभाव मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। इस दौरान जंक फूड की बजाय फल, सब्जियाँ, नट्स और साबुत अनाज जैसे पोषक आहार का सेवन करें। मैग्नीशियम युक्त खाद्य पदार्थ (जैसे केला और चॉकलेट) मूड को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
3. नियमित व्यायाम करें
हल्की एक्सरसाइज़ या योग पीरियड्स के दौरान एंडोर्फिन (खुशी के हार्मोन) रिलीज़ करने में मदद करता है। यह तनाव को कम करता है और मूड को बेहतर बनाता है। तेज़ चलना, स्ट्रेचिंग या ब्रिस्क वॉक भी फायदेमंद हो सकता है।
4. पर्याप्त नींद लें
नींद की कमी तनाव और चिड़चिड़ेपन को बढ़ा सकती है। हर रात 7-8 घंटे की अच्छी नींद लें। सोने से पहले कैफीन से बचें और रिलैक्सिंग म्यूजिक या मेडिटेशन का सहारा लें।
5. खुद के लिए समय निकालें
इस दौरान 'Me Time' बहुत ज़रूरी है। ऐसी गतिविधियाँ करें जो आपको खुशी देती हैं जैसे किताब पढ़ना, गाने सुनना, पेंटिंग करना या अपनी पसंदीदा फिल्म देखना।
6. ध्यान और मेडिटेशन का सहारा लें
ध्यान और प्राणायाम तनाव को कम करने और मानसिक शांति बनाए रखने में सहायक होते हैं। रोज़ाना 10-15 मिनट का ध्यान मन को शांत रख सकता है।
7. कैफीन और शुगर का सेवन कम करें
कैफीन और ज्यादा चीनी मूड स्विंग्स को बढ़ा सकते हैं। इसकी बजाय हर्बल टी जैसे कैमोमाइल या ग्रीन टी पिए जो आपको रिलैक्स कर सके।
8. अपनी प्राथमिकताएँ तय करें
पीरियड्स के दौरान खुद को ज़रूरत से ज़्यादा काम में न उलझाएं। महत्वपूर्ण कार्यों को प्राथमिकता दें और बाकी को बाद के लिए छोड़ दें।
9. विशेषज्ञ की मदद लें
यदि मूड स्विंग्स, चिंता या डिप्रेशन लंबे समय तक बना रहे तो किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें। कभी-कभी चिकित्सा या काउंसलिंग की ज़रूरत हो सकती है।