जानिए उन ज़रूरी बातों को, जो हर महिला को जाननी चाहिए PCOS और PCOD के बारे में

पहले तो ये जान लेना ज़रूरी है कि PCOS और PCOD एक ही नहीं हैं, बल्कि उनके लक्षणों और गंभीरता में थोड़ा अंतर होता है। इस ब्लॉग में आज हम खुलकर समझते हैं कि ये महिलाओं के जीवन को आखिर कैसे प्रभावित करते हैं।

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Vaishali Garg
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PCOD (Freepik).png

शायद ही कोई ऐसी महिला आज होगी, जो "PCOS" या "PCOD" के नाम से अनजान होगी। ये शब्द अक्सर सुर्खियों में छाए रहते हैं, लेकिन क्या हर महिला को इनके बारे में सचमुच सही जानकारी है? क्या आप जानती हैं कि ये दोनों एक ही चीज़ हैं या उनमें अंतर है? क्या इनका इलाज संभव है? चलिए, आज बात करते हैं पीसीओएस और पीसीओडी के बारे में और खोलकर समझते हैं कि ये महिलाओं के जीवन को आखिर कैसे प्रभावित करते हैं।

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जानिए उन ज़रूरी बातों को, जो हर महिला को जाननी चाहिए PCOS और PCOD के बारे में

PCOS और PCOD: समझें अंतर को

पहले तो ये जान लेना ज़रूरी है कि PCOS (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) और PCOD (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम डिसऑर्डर) एक ही नहीं हैं, बल्कि उनके लक्षणों और गंभीरता में थोड़ा अंतर होता है।

PCOS: एक हार्मोनल असंतुलन की स्थिति है, जिसमें एंड्रोजन (पुरुष हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है और प्रोजेस्ट्रोन का स्तर असंतुलित हो जाता है। इससे पॉलीसिस्टिक ओवरीज़ (अंडाशय में सिस्ट का बनना) हो सकती हैं, लेकिन ये ज़रूरी नहीं है।

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PCOD: पीसीओएस का ही एक उप-समूह है। इसमें भी हार्मोनल असंतुलन होता है, लेकिन इसमें पॉलीसिस्टिक ओवरीज़ ज़रूरी नहीं पाए जाते हैं।

लक्षणों को करें पहचान, समय रहते लें मदद

पीसीओएस और पीसीओडी के लक्षणों में असामान्य मासिक धर्म चक्र (Irregular Or Scant Menstruation), चेहरे और शरीर पर अनचाहे बालों का बढ़ना, मुंहासे, मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप 2 डायबिटीज़ का खतरा आदि शामिल हो सकते हैं। अगर आपको इनमें से कुछ लक्षण दिखाई दें, तो बिना देरी किए डॉक्टर से संपर्क करें। समय रहते जांच और परामर्श से इन स्थितियों को प्रभावी ढंग से मैनेज किया जा सकता है।

प्रबंधन के रास्ते, सुखद भविष्य के लिए

पीसीओएस और पीसीओडी का कोई स्पष्ट इलाज तो नहीं है, लेकिन इनके लक्षणों को नियंत्रित करने और संभावित जोखिमों को कम करने के लिए कई प्रभावी तरीके अपनाए जा सकते हैं:

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स्वस्थ जीवनशैली: नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और स्वस्थ वजन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है।

हार्मोनल दवाएं: डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवाइयों का इस्तेमाल करें।

इंसुलिन रेजिस्टेंस प्रबंधन: डायबिटीज़ के खतरे को कम करने के लिए इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाने वाले उपाय अपनाएं।

मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें: पीसीओएस और पीसीओडी तनाव बढ़ा सकते हैं। इसलिए, योग, मेडिटेशन या थेरेपी जैसे तरीकों से तनाव कम करना ज़रूरी है।

सकारात्मक रहें, उम्मीद जगाएं

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पीसीओएस और पीसीओडी भले ही चुनौतीपूर्ण लगें, लेकिन ये निराशा का विषय नहीं हैं। जागरूकता, सही जानकारी और उचित प्रबंधन के साथ, महिलाएं न सिर्फ़ पीसीओएस और पीसीओडी के साथ स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकती हैं, बल्कि अपने सपनों को भी पूरा कर सकती हैं। याद रखें, आप अकेली नहीं हैं। डॉक्टर, परिवार और मित्रों का साथ लें, हर चुनौती का सामना कर हार न मानें।

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