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इंटरमिटेंट फास्टिंग : फायदे और नुकसान

इंटरमिटेंट फास्टिंग वज़न घटाने, मेटाबॉलिज़म सुधारने और स्वास्थ्य लाभ देने में मदद करती है लेकिन यह सभी के लिए उपयुक्त नहीं है और साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

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Vedika Mishra
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इंटरमिटेंट फास्टिंग (आईएफ) : हाल के वर्षों में स्वास्थ्य और फिटनेस की दुनिया में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। यह खाने और उपवास के बीच समय निर्धारित करने की एक प्रणाली है जिसमें आप दिन या सप्ताह के कुछ समय में खाने और बाकी समय उपवास करते हैं। यह न केवल वजन घटाने में मदद करता है बल्कि आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। हालांकि इसे अपनाने से पहले इसके फायदे और नुकसान को समझना बेहद जरूरी है।

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'इंटरमिटेंट फास्टिंगके' फायदे और नुकसान

इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे

इंटरमिटेंट फास्टिंग के कई वैज्ञानिक रूप से समर्थित फायदे हैं जो इसे एक प्रभावी डाइटिंग तरीका बनाते हैं।

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सबसे पहले यह वजन घटाने में सहायक है। जब आप उपवास करते हैं तो शरीर ग्लूकोज के बजाय संग्रहीत फैट का उपयोग ऊर्जा के लिए करता है जिससे वजन कम होता है।

इसके अलावा यह मेटाबॉलिज़्म को बेहतर बनाता है और शरीर में इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है। यह डायबिटीज़ टाइप 2 के जोखिम को कम करने में मददगार हो सकता है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग दिल के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हो सकता है। यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करता है और रक्तचाप को सामान्य बनाए रखता है।

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यह मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है। उपवास के दौरान मस्तिष्क के न्यूरोट्रॉफिक फैक्टर का स्तर बढ़ता है, जो याददाश्त और सीखने की क्षमता को सुधार सकता है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग के नुकसान

हालांकि इसके कई फायदे हैं लेकिन कुछ नुकसान भी हो सकते है खासकर यदि इसे सही तरीके से नहीं अपनाया जाए।

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यह शुरुआती चरण में भूख, चिड़चिड़ापन और थकान का कारण बन सकता है। जो लोग लंबे समय तक उपवास के आदी नहीं हैं उन्हें शुरुआत में इसे अपनाना मुश्किल लग सकता है।

महिलाओं, गर्भवती महिलाओं और स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त लोगों के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग सही नहीं हो सकता। यह हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है।

यदि उपवास के दौरान पोषक तत्वों की कमी हो जाए तो यह स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए सही भोजन का चयन और समय का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है।

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इसे सही तरीके से कैसे अपनाएं?

इंटरमिटेंट फास्टिंग के लिए आपको धीरे-धीरे शुरुआत करनी चाहिए। सबसे पहले 12 घंटे का उपवास और 12 घंटे का खाना खाने का समय निर्धारित करें। धीरे-धीरे इसे 16:8 या 18:6 के अनुपात में बदल सकते हैं।

सुनिश्चित करें कि खाने के समय में पौष्टिक और संतुलित भोजन लें। फास्ट फूड और जंक फूड से बचें।

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अपने शरीर की सुनें। यदि आपको कमजोरी महसूस हो तो तुरंत अपने डाइट प्लान को पुनः जांचें और आवश्यकतानुसार बदलाव करें।

इंटरमिटेंट फास्टिंग एक प्रभावी और सरल तरीका है बेहतर स्वास्थ्य और वजन प्रबंधन के लिए। हालांकि, इसे अपनाने से पहले अपने शरीर की आवश्यकताओं और सीमाओं को समझना जरूरी है। यह हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकता है, इसलिए इसे अपनाने से पहले किसी विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें। फायदे और नुकसान का संतुलन बनाए रखते हुए इसे अपनी दिनचर्या में शामिल करें और स्वस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।

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