Bra Culture: ब्रा पहनना Comfort है या Societal Conditioning का हिस्सा?

Bra Culture: महिलाओं के लिए ब्रा पहनना रोज़मर्रा की ज़िंदगी में आम हो चुका है, इतना सामान्य कि इसे ज़रूरी और अपरिहार्य मान लिया गया है। जब महिलाएं अपने शरीर और फैसलों को लेकर पहले से कहीं ज़्यादा जागरूक हो रही हैं।

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Tamnna Vats
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Bra size and myths

Photograph: (Freepik)

Is wearing a bra about comfort or a result of societal conditioning?: महिलाओं के लिए ब्रा पहनना रोज़मर्रा की ज़िंदगी में आम हो चुका है, इतना सामान्य कि इसे ज़रूरी और अपरिहार्य मान लिया गया है। लेकिन ब्रा पहनना क्या इतना जरूरी और अनिवार्य है, या ये समाज की एक ऐसी condition है जिसे हमने बिना सवाल किए स्वीकार कर लिया है? यह सवाल आज के समय में और भी प्रासंगिक हो जाता है जब महिलाएं अपने शरीर और फैसलों को लेकर पहले से कहीं ज़्यादा जागरूक हो रही हैं।

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Bra Culture: ब्रा पहनना Comfort है या Societal Conditioning का हिस्सा?

Bra Culture

ब्रा पहनने की शुरुवात कहां से हुई, और ये क्यों जरूरी है, ये जरूरी भी है या सिर्फ समाज की बनाई धारणा जैसे शरीर ठीक से ढका जा सके और लड़कों की नज़रें न पड़ें इसलिए पहनी जाती है। यानी शुरुआत से ही ब्रा पहनना एक सामाजिक नियम की तरह सिखाया जाता है, न कि एक आरामदायक विकल्प की तरह। किशोरावस्था में जब लड़कियों का शरीर बदलना शुरू होता है, तो घर और समाज की ओर से उन्हें ब्रा पहनने की सलाह दी जाती है, अक्सर बिना यह पूछे कि वे इसके लिए तैयार हैं भी या नहीं। 

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आरामदायक

बहुत-सी महिलाएं मानती हैं कि ब्रा पहनने से उन्हें फिज़िकल सपोर्ट मिलता है, खासकर तब जब वे लंबी भागदौड़ में होती हैं या उन्हें शरीर में भारीपन महसूस होता है। कई महिलाओं के लिए स्पोर्ट्स ब्रा, नॉन-वायर्ड ब्रा या ब्रालेट जैसी ब्रा की डिज़ाइनें ज्यादा आरामदायक होती हैं। लेकिन बहुत सी महिलाएं मानती हैं कि ब्रा पहनना कई बार तकलीफदेह होता है, खासकर जब इसे लंबे समय तक पहनना पड़े या जब टाइट स्ट्रैप्स और अंडरवायर से त्वचा पर निशान पड़ जाते हैं।

नो-ब्रा मूवमेंट

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आजकल सोशल मीडिया और फेमिनिस्ट ग्रुप्स में नो-ब्रा मूवमेंट पर काफी चर्चा हो रही है। इस आंदोलन में महिलाएं कह रही हैं कि ब्रा पहनना उनका निजी फैसला होना चाहिए, कोई ज़बरदस्ती नहीं। उनका सवाल है कि अगर महिलाओं के लिए ब्रा ज़रूरी है तो मर्दों के लिए ऐसा कोई कपड़ा क्यों नहीं? ये मूवमेंट उस सोच का विरोध करता है जो महिलाओं के शरीर को ढकने और कंट्रोल करने की कोशिश करता है।

सामाजिक धारणा 

महिलाओं पर ब्रा पहनने का दबाव इस सोच से आता है कि जब तक वे अपने शरीर को ढक कर नहीं रखेंगी, तब तक उन्हें ‘सभ्य’ नहीं माना जाएगा। हमारे समाज में महिला शरीर को लेकर शर्म और चुप्पी आम बात है। निप्पल्स दिखना या ब्रा स्ट्रैप बाहर आ जाना अब भी गलत माना जाता है, जबकि ये शरीर के सामान्य हिस्से हैं।

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