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Periods (freepik)
Know about different menstrual diseases and their signs: पीरियड्स एक नेचुरल और आम प्रोसेस है जो हर महीने हर महिला को आते हैं जो रिप्रोडक्शन एज में हैं। ये एक बायोलॉजिकल प्रोसेस है फिर भी इसमें कई समस्याएं और बीमारियां हो सकती हैं जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है क्योंकि इस पर खुलकर चर्चा नहीं हमारे समाज में। इन समस्याओं में इरीगुएलर पीरियड्स, ज़्यादा ब्लड फ्लो, दर्दनाक पीरियड्स (डिसमेनोरिया), पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम), एंडोमेट्रियोसिस जैसी मुश्किल बीमारियां शामिल हैं। इन बीमारियों को समझना, इनके पीछे छिपे साइंटिफिक कारणों को जानना और सही समय पर इलाज कराना महिलाओं के ओवरऑल हेल्थ के लिए बहुत ज़रूरी है। मेंस्ट्रुअल हाइजीन और हैल्थ से जुड़ी बीमारियां न केवल फिजिकल हैल्थ पर असर करती हैं बल्कि मेंटल हेल्थ पर भी असर करते हैं। चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं इससे जुड़ी बीमारियां के बारे में।
जाने क्या हैं मेंस्ट्रुअल बीमारियां और इनके साइंस
1. इर्रीगुलर पीरियड्स
पीरियड्स का सही समय तो 26 से 30 दिन के बीच आने का होता है। पर जब किसी के पीरियड्स पहले या देरी से आने लगते हैं इसे ही इर्रीगुलर पीरियड्स कहते हैं। इससे हार्मोंस का बैलेंस बिगड़ जाता है जैसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन का लेवल कम होना।
2. दसमेनारिया (desmenorrhea)
पीरियड्स में तो क्रैंप्स आना तो नॉर्मल माना जाता है पर अगर ये ज़्यादा होता है और दर्द असहनीय होता है तब डॉक्टर को दिखाना चाहिए। अक्सर इसमें उल्टी, दस्त और चक्कर आते हैं। हाई प्रोस्टाग्लैंडिन का लेवल, जिससे यूटेरस में तेज हलचल होती है।
3. मेनारिया (Menorrhagia)
इसमें नॉर्मल लेवल से ज़्यादा ब्लड फ्लो होता है जिसमें पीरियड्स 7 दिन से ज़्यादा चलते हैं जो कि एक बड़ी समस्या है। इसमें सैनिटरी पैड बार बार बदलना पड़ता है 1 से 2 घंटे में और खून की कमी भी हो सकती है। इसका कारण हो सकता है यूटेराइन फाइब्रॉइड्स (गांठें)।
4. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOD)
इर्रीगुलर पीरियड्स या महीनों तक गायब पीरियड्स। इसमें चेहरे पर बाल बढ़ना, मुहांसे आना और वजन बढ़ना जैसी और भी समस्याएं होती हैं। इनफर्टिलिटी भी इसकी एक बड़ी दिक्कत है। इसका कारण होता है जब ओवरी में छोटे छोटे सिस्ट पड़ जाते हैं।
5. प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS)
इसमें पीरियड्स आने से पहले कुछ महसूस होता है जैसे कि चिड़चिड़ापन लगना, डिप्रेशन, थकान या मूड स्विंग जैसी समस्याएं। इसमें ब्रेस्ट में दर्द महसूस होता है और नींद आने में भी दिक्कत होती है। इसका कारण होता है सेराटोनिन लेवल में गिरावट होना।