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Image: (Freepik)
The Problems Women May Face Due To Conceiving After An Age: आज के समय में महिलाएं आर्थिक तौर पर स्वतंत्र और मजबूत बनने के लिए अपने लक्ष्य और सपनों पर ध्यान दे रही हैं। इसकी वजह से वो शादी भी देर से करती हैं और फिर एक उम्र के बाद मां बनने की सोचती हैं। 2022 में दिल्ली में वार्षिक चिकित्सा रिपोर्ट में बताया गया कि 2005 से 2022 तक 35 साल और उससे अधिक उम्र में मां बनने वाली महिलाओं की संख्या एकदम बढ़ी है। जो आंकड़ा 2005 में 2.71% था वो 2022 तक 7.31% पाया गया, जो थोड़ा चिंतित करने वाला भी है। स्त्री रोग विशेषज्ञ दीपांशी अग्रवाल कहती हैं "सेहत और प्रजनन आयु की तय सीमाएं करियर पर निर्भर नहीं करती हैं, ये सीमाएं केवल चिकित्सा और प्रकृति जानते हैं। 30 साल के बाद महिलाओं के शरीर में कई बदलाव आते हैं, ऐसे में गर्भधारण करने से मां और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य खराब रहने का खतरा रहता है।" जानिए ज्यादा उम्र में गर्भधारण से क्या नुकसान हो सकते हैं और इसपर ममहिला रोग विशेषज्ञों की क्या राय है।
30 की उम्र के बाद गर्भधारण में हो सकती हैं ये समस्याएं
अंडों की गुणवत्ता घटती है
महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. अलका सिंघल बताती हैं कि, "35 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं की एग क्वालिटी प्राकृतिक रूप से घटने लगती है, जिससे गर्भधारण करने में मुश्किल होती है क्योंकि उनकी प्रजनन क्षमता उम्र के साथ कम होती जाती है।" दरअसल, एक महिला 1 मिलियन पोटेंशियल एग्स के साथ जन्म लेती है लेकिन 25 वर्ष तक होते-होते यह संख्या केवल 3 लाख से 2 लाख तक रह जाती है। लेकिन 35 साल के बाद महिलाओं में इन अंडों की संख्या और गुणवत्ता दोनों में तेजी से गिरावट होने लगती है जो मेनोपॉज तक आते आते समाप्त हो जाते हैं, जिससे उन्हें मां बनने में कई प्रकार की समस्याएं आती हैं।
गर्भपात का खतरा
रिटायर्ड डॉ. ऊषा माथुर कहती हैं, " 35 के बाद मां बनने वाली महिलाओं में प्रजनन क्षमता कम होने का केवल यह अर्थ ही नहीं है कि आप मां नहीं बन सकतीं या कंसीविंग में दिक्कत आएगी। अगर आप कंसीव कर भी लेती हैं तो भी 15% से 20% तक गर्भपात की संभावनाएं होती हैं और वहीं गर आपकी उम्र 40 या उससे भी ऊपर हो तो यह संभावना 30% से 35% तक और ज्यादा बढ़ जाती है जिसका कारण महिलाओं में इस उम्र पर होने वाले असामान्य हार्मोनल और प्राकृतिक बदलाव होते हैं।"
बच्चों में डाउन सिंड्रोम जैसे विकारों की संभावना
उषा माथुर के अनुसार "एक महिला की मां बनने की सही उम्र 22 से 32 वर्ष होती है लेकिन अब 35 तक भी महिलाएं गर्भ धारण करती हैं। जिससे महिलाओं में प्रसव पीड़ा के दौरान जटिलताएं और शरीर में क्रोमोसोमल असामान्यताएं भी होने लगती हैं। इससे होने वाले बच्चे को डाउन सिंड्रोम, बौद्धिक अक्षमता, विकलांगता जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं।" अगर आंकड़ों पर गौर करें तो ऐसी महिलाएं जो 30 के बाद गर्भधारण करती हैं उनमें 1,250 बच्चों में किसी एक को डोन सिंड्रोम होने का खतरा रहता हैं वहीं, 40 की उम्र में कंसीव करने वाली महिलाओं में 100 में से 1 बच्चे को डोन सिंड्रोम होने की संभावना रहती है। ऐसे में डॉ. अलका सिंघल के अनुसार जो यदि कोई महिला 32 की उम्र के बाद कंसीव कर रही हैं तो कुछ महीने पहले से ही उन्हें नियमित स्वास्थ्य जांच, (जिसमें हार्मोनल स्तर, थायराइड फंक्शन और क्रोमोसोमल विश्लेषण शामिल हैं) करानी चाहिए। साथ ही पारिवारिक इतिहास पर ध्यान दें कि परिवार में कोई आनुवंशिक विकारों या जन्मजात विकारों से पीड़ित तो नहीं रहा।
उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या
इसके अलावा महिलाओं में 35 वर्ष की आयु के बाद उच्च रक्तचाप यानी High Blood pressure का खतरा दुगना हो जाता है, और 40 की उम्र के बाद गर्भवधि मधुमेह यानि Gestational Diabetes का जोखिम भी 50% तक बढ़ता है, साथ ही इस उम्र पर महिलाओं में गर्भधारण के दौरान प्रसवपूर्व समस्याओं का जोखिम भी अधिक होता है, जिससे प्री-मेच्योर डिलीवरी और सिजेरियन की संभावना भी बढ़ती है।
डॉ ऊषा माथुर देर से मां बनने की इच्छा रखने वाली महिलाओं को विशेषज्ञों की सलाह लेने, शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने, सही और स्वस्थ खानपान अपनाने, तनावमुक्त जीवनशैली और योग करने की सलाह देती हैं।