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Photograph: (pinterest )
Normal vs C-Section Delivery During Pregnancy: गर्भावस्था के आखिरी महीनों में हर गर्भवती महिला के मन में एक सवाल बार-बार आता है मेरी डिलीवरी नॉर्मल होगी या फिर सी-सेक्शन से? परिवार से लेकर दोस्तों तक, सभी की अलग-अलग राय होती है। कोई कहता है कि अगर पेट का शेप ऐसा है तो नॉर्मल डिलीवरी होगी, तो कोई कहता है कि डॉक्टर पहले से ही ऑपरेशन की तैयारी कर रहे होंगे। लेकिन इस फैसले के पीछे सिर्फ अफवाहें नहीं, बल्कि कई मेडिकल स्थितियां और परिस्थितियां होती हैं, जिन्हें समझना बेहद जरूरी है।
नॉर्मल डिलीवरी होगी या सी-सेक्शन? ये फैसला कैसे होता है?
नॉर्मल डिलीवरी क्या होती है?
नॉर्मल डिलीवरी यानी प्राकृत प्रसव वह प्रक्रिया है जिसमें शिशु मां के गर्भाशय से प्राकृतिक तरीके से योनि मार्ग के जरिए बाहर आता है। यह प्रक्रिया कई घंटों तक चल सकती है और इसमें शरीर को बहुत मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन इससे मां जल्दी रिकवर करती है और बच्चे के साथ बॉन्डिंग भी तुरंत शुरू हो जाती है।
नॉर्मल डिलीवरी की संभावना तब अधिक होती है जब गर्भावस्था के दौरान सबकुछ सामान्य रहे जैसे कि शिशु का पोज़िशन सही हो, कोई गंभीर बीमारी न हो, और मां की शारीरिक स्थिति भी अनुकूल हो।
सी-सेक्शन क्यों और कब ज़रूरी होता है?
सी-सेक्शन यानी सिजेरियन डिलीवरी एक शल्य प्रक्रिया है जिसमें शिशु को मां के पेट और गर्भाशय की सर्जरी के जरिए बाहर निकाला जाता है। यह विकल्प तब अपनाया जाता है जब नॉर्मल डिलीवरी से माँ या बच्चे को कोई खतरा हो सकता है।
जैसे—
- अगर शिशु उल्टे पोजिशन में है (ब्रीच पोजिशन)
- प्लेसेंटा प्रीविया यानी प्लेसेंटा गलत जगह है
- गर्भनाल (cord) गले में लिपटी हो
- माँ का ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा हो
- पहले भी सी-सेक्शन हो चुका हो
- डिलीवरी के समय बच्चे की हार्टबीट अचानक कम हो जाए
इन स्थितियों में डॉक्टर सी-सेक्शन की सलाह देते हैं ताकि माँ और शिशु दोनों सुरक्षित रहें।
क्या माँ खुद फैसला कर सकती है?
आजकल कुछ महिलाएं ‘इलेक्टिव सी-सेक्शन’ का विकल्प भी चुनती हैं, जिसमें वे अपनी सुविधा के अनुसार ऑपरेशन की तारीख तय कर लेती हैं। हालांकि डॉक्टर हमेशा कोशिश करते हैं कि डिलीवरी प्रकृतिक रूप से हो, लेकिन अगर महिला किसी मानसिक, शारीरिक या मेडिकल कारण से नॉर्मल डिलीवरी के लिए तैयार नहीं है, तो सी-सेक्शन भी एक विकल्प बनता है।
फिर भी, यह फैसला पूरी तरह डॉक्टर की मेडिकल जांच और सलाह के आधार पर होना चाहिए। सिर्फ डर या आराम की वजह से सी-सेक्शन चुनना हमेशा सही नहीं होता।
डॉक्टर कैसे करते हैं निर्णय?
जैसे-जैसे डिलीवरी की तारीख नज़दीक आती है, डॉक्टर नियमित जांच के जरिए शिशु की स्थिति, मां की सेहत, यूट्रस की तैयारी, सर्विक्स का खुलना और अन्य लक्षणों को देखकर यह तय करते हैं कि नॉर्मल डिलीवरी संभव है या सी-सेक्शन ज़रूरी होगा।
कुछ केस में डॉक्टर आखिरी वक्त पर ही यह निर्णय लेते हैं, खासकर जब लेबर पेन के दौरान कोई समस्या सामने आती है।
डिलीवरी कैसी भी हो, सबसे जरूरी है माँ और बच्चे की सुरक्षा
नॉर्मल डिलीवरी हो या सी-सेक्शन यह एक मेडिकल निर्णय होता है जिसका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ माँ और शिशु की जान की सुरक्षा होती है। इस विषय में सोशल मीडिया या आसपास की बातों पर भरोसा करने के बजाय अपने डॉक्टर पर विश्वास करना ही सबसे बुद्धिमानी है।
हर महिला का शरीर अलग होता है, और हर गर्भावस्था की स्थिति भी। इसलिए किसी एक अनुभव को 'सही' या 'गलत' मानना सही नहीं होगा।
Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।