आज के युग में हम मेंस्ट्रूअल कप का प्रयोग करने से कतराते हैं, जिसके पीछे विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां जुड़ी हुई है। हमें पैड के साथ-साथ मेंस्ट्रूअल कप भी इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि यह एक आसान तरीका है पीरियड के दौरान ब्लड को रोकने के लिए। जहां पर पैड को हर 4 से 6 घंटे में बदलना पड़ता है वहीं मेंस्ट्रूअल कप 8 घंटे तक चल जाता है। ऐसे में यह एक अच्छा अल्टरनेटिव है पैड्स के लिए। ऐसे में यह जानना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि हमें कितनी बार और कब-कब मेंस्ट्रूअल कप को बदलना चाहिए।
मेंस्ट्रूअल कप और हाइजीन
पीरियड्स के दौरान जो ब्लड प्रवाह होता है उसमें बैक्टीरिया बनने एवं बढने के चांसेस ज्यादा होते हैं ऐसे में मेंस्ट्रूअल कप को हमें नियमित तौर पर निकाल के उसे स्टेरलाइज या उबाल लेना चाहिए ऐसा करने से उसके बैक्टीरिया मर जाते हैं एवं मेंस्ट्रूअल कप को दोबारा प्रयोग में लाया जा सकता है।
हाइजीन एक अहम दिक्कत है जिसकी वजह से मेंस्ट्रूअल कप बदल लेना और भी जरूरी हो जाता है यदि मेंस्ट्रूअल कप लंबे समय तक प्रयोग में रहता है तो हमें विभिन्न प्रकार की इरिटेशन एवं ट्रांसमिशन वाली डिजीज का खतरा बढ़ जाता है ऐसे में मेंस्ट्रूअल कप को सही समय में बदलना और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है।
TSS एक बहुत ही दुर्लभ और जीवन को मुश्किल बनाने वाली स्थिति है जहां आमतौर पर त्वचा पर रहने वाले बैक्टीरिया शरीर में गहराई तक जाते हैं। मासिक धर्म कप से जुड़े टीएसएस का जोखिम विश्व स्तर पर बहुत कम है। 1980 में उच्च शोषक टैम्पोन का उपयोग करने वाले 6 से 12 लोगों की तुलना में मासिक धर्म कप का उपयोग करने वाले 1,00,000 लोगों में से संख्या 0.8 और 3.4 के बीच भिन्न होती है।
अपने कप को संभालने से पहले और बाद में साबुन और पानी से अपने हाथों को अच्छी तरह से धोने और खाली करने और कुल्ला करने से TSS से बचा जा सकता है। आपका मासिक धर्म कप कम से कम हर 8 घंटे में।
अब जब हम यह समझ चुके हैं कि मेंस्ट्रूअल कप को क्यों बदल लेना होता है। यह हमारे पर्यावरण के लिए भी एक अच्छा उपाय है। मेंस्ट्रूअल कप को हम बार-बार युज़ कर सकते हैं ऐसे में वेस्टेज बहुत कम हो जाती है और हमारा पर्यावरण भी साफ रहता है। मेंस्ट्रूअल कप बचत के तौर पर भी अच्छा अल्टरनेटिव है क्योंकि यह पैड की कीमत में आ जाता है एवं बार-बार प्रयोग में लिया जा सकता है।