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Some common myths about periods and their truths: मासिक धर्म, जिसे आमतौर पर पीरियड्स कहा जाता है, एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है। लेकिन समाज में इसके बारे में कई मिथक और भ्रांतियाँ फैली हुई हैं। यह समय है इन मिथकों को तोड़ने और सच्चाई को समझने का।
जानिए पीरियड्स से जुड़े कुछ मिथक और उनकी सच्चाई
1. मिथक: पीरियड्स के दौरान महिलाएँ अशुद्ध होती हैं।
सच्चाई
यह सबसे सामान्य और गलत धारणा है। पीरियड्स एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो हर महिला के शरीर में हर महीने होती है। इसमें अशुद्धता का कोई सवाल ही नहीं है। यह प्रक्रिया केवल महिला के प्रजनन स्वास्थ्य का संकेत है।
2. मिथक: पीरियड्स के दौरान बाल धोना या खाना पकाना मना है।
सच्चाई
यह गलत धारना है। पीरियड्स के दौरान बाल धोने से कोई समस्या नहीं होती, बल्कि स्वच्छता बनाए रखने के लिए यह जरूरी है। खाना पकाने पर भी कोई वैज्ञानिक प्रतिबंध नहीं है। ये केवल सांस्कृतिक धारणाएँ हैं जिनका स्वास्थ्य से कोई संबंध नहीं है। और यह कोई अशुद्धता नहीं होती है।
3. मिथक: पीरियड्स के दौरान व्यायाम करना हानिकारक है।
सच्चाई
यह धारणा भी गलत है। पीरियड्स के दौरान हल्का व्यायाम, जैसे योग या स्ट्रेचिंग, दर्द और थकान को कम करने में मदद करता है। व्यायाम से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जिससे ऐंठन (क्रैंप्स) से राहत मिलती है।
4. मिथक: पीरियड्स के खून में विषाक्त पदार्थ होते हैं।
सच्चाई
पीरियड्स का खून सामान्य खून के समान ही होता है। यह शरीर से निकला हुआ रक्त और ऊतक (Tissues) है, जो गर्भधारण न होने पर गर्भाशय की दीवार से निकलता है। इसमें कोई विषाक्तता नहीं होती।
5. मिथक: पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अधिक आराम की आवश्यकता होती है।
सच्चाई
हर महिला की स्थिति अलग होती है। कुछ महिलाओं को ज्यादा आराम की आवश्यकता होती है, जबकि कुछ सामान्य रूप से अपनी दिनचर्या जारी रख सकती हैं।