Postpartum Depression:- महिलाओं में पोस्टपार्टम डिप्रेशन को लेकर अभी भी इतनी जागरूकता नहीं है। आज भी महिलाएं जब इसका शिकार होती है उन्हे इस बात की जानकारी नहीं होती कि वे ऐसे किसी डिप्रेशन से ग्रस्त है। आज के इस ब्लॉग हम बात करेंगे पोस्टपार्टम डिप्रेशन की बात करेंगे-
महिलाएं जाने Postpartum Depression के लक्षण और इलाज
पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या है?
एक महिला के जीवन में एक ऐसा भी समय जब उसकी पूरी ज़िन्दगी बदल जाती है वह है जब वह प्रेग्नेंसी का सफर शुरू करती है इस समय में लाइफ में शारीरिक और मानसिक बदलाव भी आते है। कई बार यह बदलाव पोस्टपर्टम डिप्रेशन का कारण बन जाता है। यह एक मानसिक कंडीशन है जो महिलाओं में बच्चे के जन्म के बाद या गर्भवती अवस्था में होती है। इसमें आपका माइंडसेट सिर्फ नाकारात्मक चीजों के बारे में सोचता है।
कुछ महिलाओं को बेबी ब्लूज़ भी हो जाते है लेकिन यह नोर्मल है। यह डिलिव्री के 2-3 हफ़्ते तक रह सकते है।
दूसरी तरफ़ पोस्ट्पार्टम डिप्रेशन एक गंभीर समस्या है जिसका प्रभाव लम्बे समय तक रह सकता है। यह गर्भवती होने से लेकर बच्चा पैदा होने के बाद तक रह सकता है।
इसके लक्षण क्या है-
- इसमें आपक मूड बहुत ज़्यादा डिप्रेस्ड रहता है।
- आपका रोने का मन करता रहता है।
- बच्चे के साथ बांडिंग में मुश्किल आती है।
- भूख कम लगती है और खाने का मन नहीं करता है।
- आत्महत्या या अपने आप को दुःख देने के ख़्याल आते है।
- शरीर में थकावट रहती बिल्कुल भी ऊर्जा नहीं रहती है।
- किसी भी चीज़ में ध्यान या मन नहीं लगता है।
- मन नकारात्मकता की तरफ़ जाता है।
- मूड स्विंग्स
- हल्लुसिनेशन
- पैनिक अटैक
इलाज
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सेल्फ़ केयर
आपने आप को समय दीजिए। अच्छे लोगों के साथ रहिए। नेगेटिव चीजों से दूरी बनाए रखें। परिवार उनके साथ बातचीत करें। उन्हें अकेला मत छोड़े क्यूँकि ऐसे समय में महिला कोई भी कदम उठा सकती है। -
थेरेपी
महिलाएँ थेरेपी का भी सहारा ले सकती है जैसे CBT कॉग्निटिव बिहेव्यरल थेरेपी। इससे लक्षण में कमी आ सकती है। इस थेरेपी में उनके सोच के पैटर्न में बदलाव, मूड स्विंग्स में कमी। इसके लिए कोई supoort grouop या फिर काउंस्लिंग का भी सहारा ले सकती है। -
दवाइयाँ
महिला के इलाज के साथ-साथ दवाई जैसे डिप्रेशन से बचने के लिए, मूड को सही रखने के लिए आदि।