सोशल मीडिया का Hidden Pressure: जानिए कैसे खो रहा है आपका Mental Peace

सोशल मीडिया आज मनोरंजन का ज़रिया बनकर हमारी ज़िंदगी पर हावी हो गया है। इसकी यही लत धीरे-धीरे हमारे mental peace और इमोशनल बैलेंस को पर असर कर रही है।

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Deepika Aartthiya
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Photograph: (Pinterest)

सोशल मीडिया हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। आज हर कोई सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक अपने फ़ोन में बेवजह स्क्रॉल करने में बिज़ी रहता है। क्या आपने कभी गौर किया है कि सोशल मीडिया वैसे तो एंटरटेनमेंट का ज़रिया लगता है, लेकिन इसके भीतर एक इनविजिबल प्रेशर छिपा है जो धीरे-धीरे आपकी मानसिक शांति छीन रहा है। आइए जानते हैं आखिर कैसे-

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सोशल मीडिया का Hidden Pressure: जानिए कैसे खो रहा है आपका Mental Peace

1. Comparison की आदत और सेल्फ डाउट

लोग सोशल मीडिया पर अपनी लाइफ के बेस्ट मोमेंट्स ही शेयर करते हैं। फिर चाहे वो फ़ोटोज़ हो, घूमने की जगहें हो, या खुशहाल रिश्ते। इसे देखकर जाने-अनजाने में हम अपनी ज़िंदगी की तुलना उनसे करने लगते हैं। जिससे हमारे अंदर सेल्फ डाउट और इंफ़ीरियारिटी कॉम्प्लेक्स जैसी प्रॉब्लम्स को बढ़ावा मिलता है। हमें लगता है कि दुनिया में सभी लोग ख़ुश हैं, हम ही पीछे रह गए हैं। जबकि सच्चाई ये है कि हर किसी के लाइफ में स्ट्रगल्स हैं जिन्हें कोई दिखाना नहीं चाहता।

2. लाइक और कमेंट की दौड़

सोशल मीडिया पर सबसे ज़्यादा अफेक्ट करने वाले फ़ैक्टर्स हैं पोस्ट पर लाइक्स और कमेंट्स। ये हमारे सेल्फ कॉन्फिडेंस का पैमाना बन चुके हैं। किसी पोस्ट पर कम likes आने से मन ख़राब हो जाता है, तो ज़्यादा likes पर ख़ुशी मिलती है। असल में ये ख़ुशी नहीं बल्कि “डोपामिन हिट” है। जो कुछ देर के लिए तो सुकून देता है, लेकिन अंदर से हमें और unstable बना देता है। ये आदत धीरे-धीरे मानसिक थकान और चिंता को बढ़ा देती है।

3. हर समय ऑनलाइन रहने का प्रेशर

सोशल मीडिया किसी addiction से कम नहीं है। अगर हम कुछ घंटों तक ऑनलाइन ना रहे तो हमें अजीब सी बैचेनी होने लगती है। हमें लगता है अगर हम ऑनलाइन नहीं रहे तो कुछ मिस कर देंगे। इसी डर को FOMO (Fear of Missing Out) कहा जाता है। लोग हर नोटिफिकेशन पर तुरंत response देना चाहते हैं, जिससे उनके माइंड को आराम नहीं मिल पाता। यही लगातार जुड़ाव हमारे मानसिक शांति को खत्म कर देता है।

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4. झूठी परफेक्ट लाइफ का असर

अधिकतर लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी fake परफेक्ट लाइफ दिखावा करते हैं। सब ख़ुद को अच्छा ही दिखाने की कोशिश करते हैं, पर असलियत उससे बिल्कुल अलग होती है। यही सब चकाचौंध देखकर हम ख़ुद को कमतर महसूस करने लगते हैं। समय के साथ यहीं फीलिंग्स हमारे अनचाहे स्ट्रेस, डिप्रेशन और नाखुश रहने का कारण बनती हैं।

5. डिजिटल डिटॉक्स की ज़रूरत

डिजिटल डिटॉक्स यानी कुछ समय के लिए फ़ोन और ऐप्स से ब्रेक लेना। ये मानसिक शांति पाने का सबसे अच्छा तरीका है। इससे मन को तो आराम मिलता ही है, साथ ही हम ख़ुद से भी जुड़ पाते हैं। अगर आप अपने अंदर बैचेनी, चिड़चिड़ापन, या ध्यान भटकने जैसी प्रॉब्लम्स फील कर रहे हैं, तो ये एक sign है कि आपको सोशल मीडिया थोड़ी कम इस्तेमाल करने की ज़रूरत है।

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