कंट्रासेप्शन यानी अनप्लांड और अनचाहे प्रेगनेंसी से बचने के तरीके। कुछ कंट्रासेप्शन के तरीकों से STD से भी बचाव होते हैं। हर व्यक्ति के कंट्रासेप्टिव ज़रूरतें अलग होती हैं, इसलिए यह जानना बहुत ज़रूरी है की क्या क्या उपलब्ध है, और हर तरीके के लाभ और संभव साइड इफेक्ट्स क्या हो सकते हैं। इस हेल्थ ब्लॉग में पढ़िए कंट्रासेप्शन के अलग तरीके, और उनके लाभ और साइड इफेक्ट्स-
कंट्रासेप्शन के उपलब्ध तरीके:
1. कंडोम
कंडोम के बारे में तो सब जानते ही होंगे। यह सबसे सरल और सुरक्षित कंट्रासेप्टिव तरीका है। कंडोम्स कई प्रकार के आते हैं। यह प्रेग्नेंसी के साथ साथ STD से भी बचाव देते हैं।
इससे केवल एक संभव कॉम्प्लिकेशन हो सकता है, अगर आपको लेटेक्स एलर्जी हो तो। अगर आपको लेटेक्स एलर्जी है, आपको ध्यान से नॉन लेटेक्स कंडोम का ही प्रयोग करना चाहिए।
कंडोम के भी टाइप होते हैं:
- मेल कंडोम- यह सबसे पॉप्युलर हैं। यह पुरुष के जेनेटिलिआ पर प्रयोग होते हैं।
- फीमेल कंडोम- इसे डीएफ़रागम भी कहा जाता है। इसे प्रयोग करने के लिए वजाइना के अंदर घुसाया जाता है।
- यूनिसेक्स कंडोम- इन कंडोम की डिज़ाइन ऐसी है की इसे कोई भी प्रयोग कर सकता है।
- ओरल कंडोम- ओरल कंडोम्स ओरल सेक्स के समय प्रयोग होते हैं, ताकि ओरल STDs से बचाव हो।
2. ओरल कंट्रासेप्टिव पिल्स
यह हार्मोनल दवा होती हैं जिन्हें नियमित रूप से 21 दिन के लिए लेना पड़ता है। इन हॉर्मोन्स के माध्यम से ओवुलेशन को रोका जाता है, ताकि प्रेग्नेंसी न हो। इनसे STD से कोई बचाव नहीं मिलता है।
इसके लाभ है की यह PCOS और इर्रेगुलर पीरियड्स को कुछ हद तक ट्रीट करते हैं। इनसे पीरियड्स रेगुलर हो सकते हैं।
इसके संभव साइड इफेक्ट्स हैं, सिर दर्द, उल्टी होना या उल्टी जैसी फीलिंग आना और ब्लोटिंग हो सकती है, लेकिन यह कुछ दिनों में कम हो जाती हैं।
इसकी एक समस्या यह है की अगर महिला इसे लेना भूल जाये, तो यह कम इफेक्टिव होती है।
3. कंट्रासेप्टिव इंजेक्शन
यह ओरल कंट्रासेप्शन जैसा ही है, और धीरे धीरे खून में हॉर्मोन रिलीज़ करता है। इसे हर 3 महीने में लेने की ज़रूरत है। इसकी साइड इफेक्ट यह है की इसे लेने से इरेग्युलर पीरियड्स हो सकते हैं।
4. इंट्रा यूटेराइन डिवाइस
यह एक छोटा डिवाइस है जिसे सर्जिकली यूटेरस के अंदर लगाया जाता है, जिससे स्पर्म को ओवम तक पहुंचने से रोका जाता है। इसे कॉपर टी भी कहा जाता है, क्योंकि यह कॉपर का बना होता है और टी शेप का होता है। यह लगभग 12 साल के लिए इफेक्टिव होता है।
इसे लगाने के शुरुआती दिनों में इरेग्युलर पीरियड्स, पेट दर्द और स्पॉटिंग हो सकती है, पर कुछ दिन में यह समस्या चली जाती है। यह पूरी तरह रिवर्सिबल होती है।
5. वासेक्टोमी और ट्यूबेक्टोमी
वासेक्टोमी पुरुषों की स्टरलाइजेशन टेक्निक होती है, और अक्सर परमानेंट होती है। अगर पुरुष के स्पर्म डक्ट को काटा जाए, यह परमानेंट होती है, और अगर बांधा जाए तो रिवर्सिबल होती है। यह बहुत ही सस्ता और कम दर्द वाला होता है और इससे सेक्स लाइफ पर कोई असर नहीं होता है।
इसी तरह महिला के फैलोपियन ट्यूब को काटने या बांधने को ट्यूबेक्टोमी कहते हैं। यह वासेक्टोमी से थोड़ा ज़्यादा कठिन होता है।