What are the diseases that a newborn baby can suffer from: नवजात शिशु में संक्रमण का खतरा अधिक होता है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम काफी कमजोर होता है। जन्म के पहले महीने के दौरान कोई भी संक्रमण हो सकता है। जीवन के पहले सात दिनों के दौरान बीमारी के लक्षणों का ध्यान रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। नवजात शिशु जब नई दुनिया और नए वातावरण में ढलते हैं तो उन्हें कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ सामान्य सी समस्याएं तो समय के साथ गायब हो जाती हैं, किंतु गंभीर समस्याओं का समय रहते इलाज कराना जरूरी है।
नवजात शिशु स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कौन कौन सी हैं?
रोना
रोना बच्चे का नैपी बदलने, गले लगाने या दूध पिलाने की मांग करने का स्वाभाविक तरीका है। ऐसा भी हो सकता है की बच्चे की तबियत सही न हो। बच्चे को दूध पिलाएं, उसके साथ खेलें, उसको गोदी में उठाकर खिलाएं। यदि फिर भी रोना बंद नहीं होता तो जल्दी से किसी डॉक्टर से परामर्श लें।
पीलिया
नवजात शिशुओं में सबसे आम समस्याओं में से एक है पीलिया। यह तब होने की संभावना होती है जब बच्चा 3 या 4 दिन का होता है। सामान्य स्थितियों में यह एक सप्ताह में सही हो जाता है। लेकिन यदि पीलिया जन्म के 24 घंटे के भीतर हो जाए या फिर 3 सप्ताह से अधिक समय तक रहे, तो जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाकर दिखाएं।
खांसना
दूध पिलाने के दौरान मां का दूध बहुत तेजी से आ सकता है, जिससे बच्चे को खांसी होने लगती है। यह समस्या खत्म हो जाती है क्योंकि बच्चा धीरे धीरे सिख जायेगा की दूध के फ्लो को कैसे संभलना है। लेकिन अगर खांसी लगातार बनी रहती है तो डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि यह बच्चे के पाचन तंत्र या फिर फेफड़ो से जुड़ी समस्या हो सकती है।
त्वचा संबंधी समस्या
नवजात शिशु को त्वचा सुखी, फटी हुई हो सकती है। यह कुछ हफ्तों बाद खुद ही सही हो जाती है। आपको किसी भी प्रकार की क्रीम या लोशन लगाने की जरूरत नहीं हैं।
फूला हुआ पेट
कुछ नवजात शिशुओं का पेट फूला हुआ होता है या फिर दूध पिलाते वक्त पेट को छूने पर वह कठोर लगता है। अक्सर यह गैस या फिर कब्ज की समस्या होती है। लेकिन अगर लंबे समय तक यह समस्या बनी रहे तो डॉक्टर से परामर्श लेना ही जरूरी होता है।
Disclaimer: इस प्लेटफार्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट की सलाह लें।