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क्या होता है Uterine Prolapse और इससे बचाव के तरीके

हैल्थ: अक्सर महिलाओं द्वारा जानकारी के अभाव में पीरियड्स, मेनोपॉज या प्रेगनेंसी में की गई थोड़ी सी भी लापरवाही यूट्रस इन्फेक्शन के साथ-साथ यूट्रस में सूजन जैसी समस्या उत्पन्न करती है। जिस कारण आगे चलकर यूट्रिन प्रोलैप्स का खतरा बन जाता है।

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Ruma Singh
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Uterine Cancer

(Credit Image- File Image)

What Is Uterine Prolapse And How To Prevent It: महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ-साथ उनके शरीर में कई परेशानियां आनी शुरू हो जाती हैं। जिस कारण शारीरिक तौर पर उनमें कई बदलाव देखने को मिलते हैं। ऐसी ही एक समस्या है- यूट्रिन प्रोलैप्स, जो आमतौर पर कई महिलाओं में 40 के बाद यह समस्या देखने को मिलती हैं। जिसमें महिलाएं 40 के बाद बच्चेदानी खिसकने की शिकायत करने लगती हैं। अधिकतर महिलाओं में इसे लेकर जानकारी का अभाव रहता है, जिस कारण वह अनदेखा कर देती है जो आगे चलकर एक बड़ी समस्या का कारण बन जाता है।

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क्या है यूट्रिन प्रोलैप्स?

पेट के निचले हिस्सों में कई बार कमजोरी आने से महिलाओं में बच्चेदानी खिसक कर नीचे आने की समस्या रहती है। जिसे बाहर आ जाने पर यूट्रिन प्रोलैप्स कहते हैं। कुछ महिलाओं में तो यह जननांग के पास भी आ जाता है। इसके पीछे की वजह बच्चेदानी को स्वस्थ ना रख पाना है। अक्सर महिलाओं द्वारा जानकारी के अभाव में पीरियड्स, मेनोपॉज या प्रेगनेंसी में की गई थोड़ी सी भी लापरवाही यूट्रस इन्फेक्शन के साथ-साथ यूट्रस में सूजन जैसी समस्या उत्पन्न करती है। जिस कारण आगे चलकर यूट्रिन प्रोलैप्स का खतरा बन जाता है। कई बार इसके लिए थायरॉइड या ज़्यादा वजन, हार्मोनल बदलाव भी जिम्मेदार होते हैं।

यूट्रिन प्रोलैप्स के लक्षण

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•    कब्ज की दिक्क़त

•    ब्लैडर पर भार महसूस होना 

•    बार-बार पेशाब आना 

•    वजाइना के पास भारीपन महसूस होना 

•    बैठने में परेशानी 

•    खाते समय ब्लोटिंग की समस्या

कैसे करें इससे बचाव?

  • महिलाएं बच्चेदानी को मजबूत बनाए रखने के लिए कीगल एक्सरसाइज कर सकती हैं। इसमें आप बैठकर अपने पेल्विक को खोलते हुए एक बार फैलाकर फिर उसे चिपका लें। कोशिश करें कि इसे प्रतिदिन 10 मिनट करने की।
  • कब्ज होने पर हम पेल्विक एरिया पर जोर डालते हुए मल या पेशाब को निकालने की कोशिश करते हैं। जिसे करने से बच्चेदानी पर जोर लगता है, इसलिए ऐसा करने से बचने की कोशिश करें।
  • बच्चेदानी को मजबूत रखने में डाइट का भी अहम योगदान रहता है, इसलिए अपनी डाइट को सही करें। जिसमें आप फाइबर वाले पोषक तत्व राजी और राजगीरा को शामिल कर सकते हैं।
  • हफ़्ते में दो बार जरूर से जरूर साइकलिंग करें। जिससे पेल्विक एरिया मजबूत होती है और आपका पॉश्चर भी सही रहता है। जिससे मांसपेशियां आपके पेल्विक एरिया को सही जगह बनाए रखता है। इसके लिए आप ब्रिज पोज़ योगा भी कर सकती हैं।
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Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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