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Mental Health Of Women: मेंटल हेल्थ हमारे समाज में आज भी ऐसा विषय है जिसके बारे में लोग खुलकर बात नहीं करते हैं। इसके साथ ही मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को लेकर बहुत हल्का समझ लिया जाता है। ऐसा समझा जाता है कि यह एक बहुत ही मामूली समस्या है जिस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है।जब बात महिलाओं की मेंटल हेल्थ पर आती है तो इसे इग्नोर ही कर दिया जाता है। महिलाएं अपने जीवन में यूनिक चैलेंज से गुजरती हैं जिसके कारण उनकी मानसिक स्वास्थ्य पर नेगेटिव असर पड़ता है। आज वर्ल्ड हेल्थ डे पर हम महिलाओं की मेंटल हेल्थ पर बात करेंगे कि आखिर इसके ऊपर बात करना क्यों जरूरी है-
रिपोर्ट के अनुसार, "महिलाओं में मानसिक अस्वस्थता बढ़ रही है। 5 में से 1 महिला (19%) सामान्य मानसिक विकार (जैसे चिंता या अवसाद) का अनुभव करती है, जबकि 8 में से 1 (12%) पुरुष ऐसे हैं"।
महिलाओं की मेंटल हेल्थ पर बात करना क्यों जरूरी है
बायोलॉजिकल कारण
महिलाओं की मेंटल हेल्थ को सबसे ज्यादा प्रभावित हार्मोन करते हैं। जीवन के अलग-अलग पड़ाव में महिलाएं ऐसी कंडीशंस से गुजरती हैं जिसके कारण उनके हॉरमोन इंबैलेंस हो जाते हैं या फिर बहुत ज्यादा मूड स्विंग्स होते हैं। जब कोई महिला टीनएज में होती है तो उसे पीरियड आने शुरू हो जाते हैं। इस दौरान हारमोंस में उतार-चढ़ाव आना बहुत नॉर्मल है लेकिन मेंटल हेल्थ बहुत ज्यादा इफेक्ट होती है। इसके बाद प्रेगनेंसी, पोस्टपार्टम डिप्रेशन और Menopause के दौरान भी बहुत सारी मेंटल हेल्थ समस्याओं से गुजरना पड़ता है। इन कंडीशंस के दौरान आपके मूड में बदलाव आते रहते हैं और इमोशनल वेल्बीइंग प्रभावित होती है।
समाजिक दबाव
समाज में महिलाओं के साथ अलग-अलग तरीके से भेदभाव होता आया है जिसके कारण भी उनकी मेंटल हेल्थ इफेक्ट होती है। हर लेवल पर महिलाओं के साथ अलग तरीके का भेदभाव होता है जैसे जेंडर इनिक्वालिटी आज भी बहुत सारी जगहों पर मौजूद है। पुरुषों को महिलाओं से ज्यादा काबिल समझा जाता है। इसके साथ ही केयरगिविंग रिस्पांसिबिलिटी आज भी महिलाओं के ऊपर हैं। एक महिला वर्किंग होने के बावजूद भी अपने बच्चों को संभालती है। महिलाओं को यह बताया जाता है कि अगर तुम्हें जॉब करनी है तो घर की जिम्मेदारियां को भी पूरा करना पड़ेगा। उनके ऊपर समाज की अनरियलिस्टिक एक्सपेक्टशंस होती हैं।
मेंटल हेल्थ से जुड़ा स्टिग्मा
मेंटल हेल्थ को लेकर स्टिग्मा आज भी समाज में बहुत बड़े पैमाने पर मौजूद है। जो भी महिला मेंटल हेल्थ समस्याओं से गुजर रहा होती है, उसे 'कमजोर' समझ जाता है या 'अनस्टेबल' बोला जाता है। जब हम मेंटल हेल्थ के लिए दूसरे व्यक्ति को लेबल करते हैं तो इससे उसकी इमोशनल वेल्बीइंग बहुत ज्यादा बुरे तरीके से प्रभावित होती है। इसके साथ ही मेंटल हेल्थ समस्याओं से जूझ रहे व्यक्ति को बहुत ज्यादा जज किया जाता है। महिलाओं को होने वाले मूड स्विंग्स या फिर हार्मोनल इंबैलेंस को इग्नोर ही कर दिया जाता है या फिर ऐसा समझा जाता है कि इससे महिलाओं को कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। बहुत सारे लोग तो महिलाओं को लेबल कर देते हैं कि जैसे यह ओवर रिएक्टर कर रही हैं या फिर महिलाएं बहुत ज्यादा ड्रैमेटिक होती हैं।
Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।
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