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ग्रामीण क्षेत्रों में Menstrual Education की ज़रूरत क्यों?

हैल्थ: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार लगभग 50% महिलाएं माहवारी के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करती है, जो कि स्वच्छ और सुरक्षित नहीं माना जाता है। उनके लिए यह चलन काफी नुकसानदायक साबित होता है।

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Ruma Singh
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(Credit Image- File Image)

Why Menstrual Education Is Important In Rural Areas? भारत में जब ग्रामीण क्षेत्रों में मेंस्ट्रुअल एजुकेशन और हाइजीन की बात आती है तब कमी हमेशा नजर आती, क्योंकि गांव में अक्सर कई कारणों से महिलाएं सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल नहीं कर पाती है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार लगभग 50% महिलाएं माहवारी के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करती है, जो कि स्वच्छ और सुरक्षित नहीं माना जाता है। उनके लिए यह चलन काफी नुकसानदायक साबित होता है जिससे कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती हैं, जैसे सर्वाइकल कैंसर, हेपेटाइटिस बी का संक्रमण, प्रजनन मार्ग में संक्रमण आदि।

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क्यों है ज़रूरी ग्रामीण क्षेत्रों में मेंस्ट्रुअल एजुकेशन की?

ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी मासिक धर्म शिक्षा और स्वच्छता को लेकर महिलाओं में जागरूकता का अभाव दिखता है। टाइम्स आफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र के केवल 42% महिलाएं ही अपने पीरियड्स के दौरान हाइजीनिक उत्पादों का इस्तेमाल करती है। बची हुई महिलाएं उचित स्वच्छता के तरीकों से अनजान रहती है। ऐसे में ज़रूरी है कि वहां की महिलाओं को मेंस्ट्रुअल एजुकेशन की जानकारी दी जाए।

1. हाइजीन के बारे में पता होना 

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पीरियड्स के दौरान हाइजीन को मेंटेन रखना बेहद जरूरी है, क्योंकि स्वच्छता नहीं बरतनें से फंगस, यूरिनरी ट्रैक्ट, रिप्रोडक्टिव सिस्टम में इंफेक्शन से जुड़ी कई बीमारियां हो सकती हैं, इसलिए ज़रूरी है कि ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियों और महिलाओं को अपने मासिक धर्म के दौरान हाइजीन बनाएं रखने के लिए सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करना चाहिए।

2. टैबू को तोड़ना 

मासिक धर्म आना एक बायोलॉजिकल नेचुरल प्रक्रिया है, लेकिन गांव में इसे टैबू से जोड़कर देखा जाता है। वहां के लोग इसे लेकर खुलकर बातें करने में शर्माते हैं। वहीं महिलाओं को इस दौरान किचन से, पौधे को पानी न देना आदि चीज न करने की सलाह दी जाती है, जो कि मेंस्ट्रुअल एजुकेशन से ही सोच में सुधार आ पाएगा।

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3. जागरूकता को बढ़ावा देना 

ग्रामीण समुदाय में इसकी आवश्यकता है, क्योंकि यह लोगों में जागरूकता की कमी को दूर करता है। मासिक धर्म शिक्षा से महिलाएं खुद को प्रोत्साहित कर टैबू को तोड़ अपने पीरियड्स को मैनेज कर पाएंगी। वहां के लोग इससे जुड़ी कोई भी समस्या पर खुलकर बात कर पाएंगे जिससे महिलाओं में स्वास्थ्य संबंधी समस्या कम देखने को मिलेगी।

4. लैंगिक समानता को बढ़ावा देना

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मासिक धर्म शिक्षा से महिलाएं अपने प्रति हो रही लैंगिक असमानताओं को दूर करने में सक्षम हो पाएंगी और लड़कों के समान अवसर प्रदान करके समानता को बढ़ावा देंगीं।

5. समग्र स्वास्थ्य में सुधार

मासिक धर्म शिक्षा में महिलाएं शारीरिक भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं को संबोधित कर पाएंगी, जो उनके जीवन के समग्र स्वास्थ्य और जीवन के गुणवता में योगदान देगा।

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Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

मासिक चक्र Menstrual menstrual awareness
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