Why should we not eat non-veg in Saavan?सावन का महीना भारतीय संस्कृति और परंपराओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह महीना भगवान शिव की भक्ति का समय होता है और कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारणों से इस दौरान Non-Veg खाने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। यहां पांच प्रमुख बिंदु दिए गए हैं जिनसे स्पष्ट होता है कि सावन में Non-Veg क्यों नहीं खाना चाहिए:
सावन में Non-Veg क्यों नहीं खाना चाहिए?
1. धार्मिक कारण
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में शिव भक्त उपवास रखते हैं और सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से, मांसाहार को त्याग कर भगवान शिव की पूजा अधिक श्रद्धा और शुद्धता के साथ की जाती है। धार्मिक ग्रंथों में भी इस महीने में शाकाहारी आहार को प्रोत्साहित किया गया है जिससे आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है।
2. स्वास्थ्य के लाभ
सावन का महीना मानसून का समय होता है जब नमी और गंदगी के कारण बीमारियों का खतरा अधिक होता है। इस समय Non-Veg भोजन करने से खाद्यजनित बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है क्योंकि मांस और मछली में बैक्टीरिया और वायरस जल्दी पनपते हैं। शाकाहारी भोजन का सेवन करने से इन समस्याओं से बचा जा सकता है और शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है।
3. पर्यावरण संरक्षण
सावन का महीना प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का समय भी होता है। इस दौरान वृक्षारोपण और पर्यावरण संरक्षण के कई अभियान चलाए जाते हैं। Non-Veg खाने से पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि मांस उत्पादन में अधिक जल और संसाधनों की आवश्यकता होती है। शाकाहारी आहार अपनाकर हम पर्यावरण को संरक्षित करने में योगदान दे सकते हैं।
4. पारिवारिक और सामाजिक संकल्पना
सावन में कई लोग अपने परिवार और समाज के साथ मिलकर धार्मिक कार्यक्रमों और अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं। इस समय Non-Veg का सेवन करना पारिवारिक और सामाजिक परंपराओं के विपरीत माना जाता है। सात्विक भोजन और संयमित आहार का पालन करने से परिवार और समाज के साथ हमारी एकता और स्नेह बढ़ता है।
5. मन की शांति और आत्मिक विकास
सावन का महीना मन की शांति और आत्मिक विकास का समय होता है। इस महीने में ध्यान, योग और पूजा-अर्चना के माध्यम से आत्मा की शुद्धि की जाती है। Non-Veg खाने से मानसिक अस्थिरता और चित्त की अशांति हो सकती है। शाकाहारी भोजन और संयमित जीवनशैली अपनाकर हम अपने मन को शांत और संतुलित रख सकते हैं जिससे आत्मिक विकास संभव हो सके।