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How can women satisfy their sexual desires when they do not have a partner: हमारे समाज में महिलाओं की यौन इच्छाओं को अक्सर दबा दिया जाता है या उन पर शर्म का पर्दा डाल दिया जाता है, खासकर तब जब महिला सिंगल हो चाहे वह अविवाहित हो, तलाकशुदा हो, या विधवा। लेकिन यौन इच्छा भी उतनी ही स्वाभाविक है जितनी भूख या नींद। जब महिला अपने शरीर और मन की ज़रूरतों को समझती है और उन्हें स्वीकार करती है, तो वह Self-Reliance की ओर पहला कदम बढ़ाती है।
जब साथी ना हो, तो महिलाएं अपनी यौन इच्छाएं कैसे पूरी कर सकती हैं?
Self Pleasure कोई अपराध नहीं
अगर कोई साथी मौजूद नहीं है, तो इसका मतलब यह नहीं कि महिला अपनी इच्छाओं को दबाकर रखे। सेल्फ-प्लेज़र यानी आत्म-सुख की प्रक्रिया न केवल यौन तनाव को कम करती है, बल्कि शरीर को बेहतर तरीके से जानने का ज़रिया भी बनती है। यह एक हेल्दी, नेचुरल और मेडिकल साइंस द्वारा भी स्वीकार्य तरीका है। इससे मानसिक तनाव कम होता है, नींद बेहतर आती है और आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
सहजता, निजता और ज्ञान की ज़रूरत
महिलाओं के लिए यह ज़रूरी है कि वे अपने शरीर को गिल्ट या शर्म के साथ नहीं, बल्कि जिज्ञासा और प्रेम के साथ जानें। इंटरनेट पर आज भरोसेमंद स्रोतों से सेक्सुअल हेल्थ और प्लेज़र से जुड़ी जानकारी मिलती है। किताबें, पॉडकास्ट, और एक्सपर्ट्स की राय भी महिलाओं को अपने अनुभव को बेहतर समझने में मदद कर सकती हैं। साथ ही, यह भी ज़रूरी है कि वह इस प्रक्रिया को अपनी निजता और सहजता से अपनाएं, ना कि किसी दबाव या तुलना के तहत।
इच्छाओं को दबाना नहीं
कई बार समाज महिलाओं को सिखाता है कि अकेली महिला की सेक्सुअल इच्छा ‘गलत’ है या ‘जरूरी नहीं है’, लेकिन सच्चाई यह है कि इच्छा किसी रिश्ते की मोहताज नहीं होती। महिलाएं अकेले रहकर भी पूरी तरह संतुलित और संतुष्ट जीवन जी सकती हैं अगर वे अपनी ज़रूरतों को समझें और उन पर खुलकर बात करने की हिम्मत रखें।
पार्टनर का ना होना यौन सुख से दूरी का कारण नहीं होना चाहिए। जब महिला अपने शरीर, भावनाओं और इच्छाओं को जानती है, तो वो एक ऐसी आज़ादी पाती है जो उसे समाज की तयशुदा सीमाओं से ऊपर उठा देती है। आत्म-सुख में कोई शर्म नहीं, यह आत्म-ज्ञान, आत्म-प्रेम और आत्म-सम्मान का हिस्सा है। बात सिर्फ यौन सुख की नहीं, बल्कि उस हक़ की है जो हर महिला को अपने शरीर और खुशी पर होना चाहिए।