Sex Educations: क्या महिलाओं को सेक्स एजुकेशन देना अब भी एक 'taboo' की तरह है?

समाज, परिवार और यहां तक कि स्कूल भी इस विषय को लेकर असहज रहते हैं। सवाल यह है कि क्या महिलाओं को सेक्स एजुकेशन देना आज भी टैबू यानी की एक(वर्जित विषय) है? आइए जानते हैं सेक्स एजुकेशन को लेकर लोगों की धारणाएं। 

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Udisha Mandal
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Is Giving Sex Education To Women Still a 'Taboo'?

Photograph: (freepik)

Is Giving Sex Education To Women Still a 'Taboo'?: आज के इस आधुनिक और डिजिटल युग में भी, जब महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी दर्ज करा रही हैं, तब भी महिलाओं के लिए एक ऐसा विषय है जिसे लेकर समाज में चुप्पी छाई रहती है, वह है सेक्स एजुकेशन। भले ही स्कूलों के सिलेबस में यौन शिक्षा को शामिल किया गया हो, लेकिन इसे आज भी पूरी ईमानदारी और खुलेपन के साथ पढ़ाया और समझाया नहीं जाता। समाज, परिवार और यहां तक कि स्कूल भी इस विषय को लेकर असहज रहते हैं। सवाल यह है कि क्या महिलाओं को सेक्स एजुकेशन देना आज भी टैबू यानी की एक(वर्जित विषय) है? आइए जानते हैं सेक्स एजुकेशन को लेकर लोगों की धारणाएं। 

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क्या महिलाओं को सेक्स एजुकेशन देना अब भी एक 'Taboo' की तरह है?

1. सेक्स एजुकेशन को एक टैबू क्यों माना जाता है?

1. परंपराओं से बंधा समाज

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हमारा समाज अब भी महिलाओं से यह उम्मीद करता है कि वे "शालीन" और "मासूम" रहें। यौन विषयों पर बात करना उनके लिए अश्लीलता है और इसे अश्लीलता से जोड़ दिया जाता है।

2. परिवारों में झिझक होना

अधिकतर माता-पिता अपने बच्चों, खासकर बेटियों से यौन स्वास्थ्य पर बात करने से कतराते हैं। वह सोचते हैं कि इससे लड़कियों का ध्यान गलत दिशा में चला जाएगा।

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3. शिक्षकों की असहजता

स्कूलों में भी शिक्षक सेक्स एजुकेशन को या तो नजरअंदाज कर देते हैं या इसके बारे में बहुत कम समझाते हैं, जिससे लड़कियां सही जानकारी से वंचित रह जाती हैं।

4. सूचना की कमी और गलतफहमी

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जब सेक्स एजुकेशन नहीं दी जाती, तो लड़कियां इंटरनेट, दोस्तों या ग़लत स्रोतों से आधी-अधूरी और भ्रमित जानकारी लेने लगती हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर बुड़ा असर पड़ता है।

2. महिलाओं के लिए सेक्स एजुकेशन कितना जरूरी है?

यह महिलाओं को यौन शोषण से बचाव की समझ देता है।

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वह अपने शरीर, मासिक धर्म और हार्मोनल बदलावों को बेहतर तरीके से समझती हैं।

महिलाओ में कंसेन्ट, सीमाएं और आत्म-सम्मान को लेकर जागरूकता आती है।

सही जानकारी से वे स्वस्थ और सुरक्षित निर्णय ले पाती हैं।

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