Hormones & Sexual Wellness: एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन का महिलाओं की सेक्स ड्राइव पर क्या प्रभाव पड़ता है?

एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन दोनों ही महिलाओं के शरीर और उनकी सेक्स ड्राइव पर गहरा असर डालते हैं इसलिए इन्हें समझना और इनका संतुलन आपकी सेक्स लाइफ को स्वस्थ और संतोषजनक बनाने में मदद कर सकता है।

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Kirti Sirohi
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Hormones And Sexual Wellness

Image: (Freepik)

What Effect Do The Hormones Estrogen And Testosterone Have On Women Sex Drive? महिलाओं के शरीर में ऐसे कई हार्मोन होते हैं जो उनकी सेक्स ड्राइव को सीधे प्रभावित करते हैं। और उन हार्मोन के स्तर में कमी आने या इनके ज्यादा होने से ही महिलाएं अक्सर सेक्स ड्राइव में कमी या थकावट जैसी दिक्कतें महसूस कर सकती हैं। इन सब में सबसे ज्यादा खास हार्मोन एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन होते हैं। ये दोनों हार्मोन न सिर्फ आपकी सेक्सुअल डिज़ायर को प्रभावित करते हैं बल्कि शरीर के रिएक्शन, सेंसिटिविटी और बैलेंस को भी कंट्रोल करते हैं। जानिए कि इन दोनों हार्मोन की आपके सेक्सुअल लाइफ में क्या भूमिका और प्रभाव होते हैं।

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हार्मोन और सेक्स लाइफ

Estrogen और Testosterone क्या होते हैं और कैसे काम करते हैं?

एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं का मेन सेक्स हार्मोन माना जाता है जो कि ओवरीज़ में बनता है और पीरियड साइकल, रिप्रोडक्टिव हैल्थ और यौन स्वास्थ्य पर सीधा असर डाला है। एस्ट्रोजन शरीर के कई हिस्सों में काम करता है जैसे कि यह वजाइना की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, वजाइनल टिशू को हाइड्रेटेड और लचीला बनाए रखता है। वहीं टेस्टोस्टेरोन हार्मोन वैसे तो एक मेल सेक्स हार्मोन होता है लेकिन यह महिलाओं में भी बहुत कम मात्रा में मौजूद होता है और यौन स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

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एस्ट्रोजन हार्मोन और फीमेल लिबिडो

एस्ट्रोजन महिलाओं के रिप्रोडक्टिव सिस्टम और वजाइना की हेल्थ से जुड़ा होता है। शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर सामान्य होने से महिलाओं वजाइना की त्वचा स्वस्थ, हाइड्रेटेड और फ्लेक्सिबल रहती है। यह महिलाओं में यौन इच्छाओं यानी लिबिडो को बढ़ाने में भी मदद करता है। सेक्स के जब दौरान महिलाएं जब उत्तेजित होती हैं तो उनके वजाइना में प्राकृतिक लुब्रिकेशन आता है और यह प्रक्रिया एस्ट्रोजन हार्मोन की वजह से ही सही तरीके से होती है। एस्ट्रोजन शरीर को यौन गतिविधियों के लिए तैयार करता है और मानसिक रूप से भी उन्हें एक्टिव बनाता है। हालांकि मेनोपॉज़ या हार्मोनल बदलावों की वजह से एस्ट्रोजन के स्तर में कमी आ सकती है जिससे महिलाओं में लुब्रिकेशन की समस्या, वजाइना में ड्रायनेस और सेक्सुअल डिजायर में कमी आती है। 

टेस्टोस्टेरोन हार्मोन और फीमेल लिबिडो

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टेस्टोस्टेरोन भले ही महिलाओं में कम मात्रा में होता है क्योंकि एक पुरुष हार्मोन के रूप में जाना जाता है। लेकिन फिर भी यह हार्मोन महिलाओं के सेक्सुअल लाइफ के लिए भी लिए बेहद ज़रूरी होता है। टेस्टोस्टेरोन महिलाओं में भी उत्तेजना को बढ़ाता है और सेटिस्फेक्शन और प्लेजर में भी वृद्धि लाता है। साथ ही यह हार्मोन महिलाओं की सेक्स ड्राइव को ट्रिगर करता है जिससे फैंटेसी और मूड में बेहतर भी ज्यादा महसूस होती है और महिलाएं सेक्स को एंजॉय करती हैं। टेस्टोस्टेरोन से महिलाओं में भले ही इंस्टेंट डिज़ायर नहीं आती हैं लेकिन यह सेक्स में उन्हें लॉन्ग टर्म सपोर्ट करता है।

प्राकृतिक लुब्रिकेशन और हार्मोनल संतुलन

शरीर में एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन दोनों हार्मोन का सही तरह से संतुलन बनाए रहने से वजाइना में स्वाभाविक लुब्रिकेशन होता है जो सेक्सुअल रिलेशन में कंफर्ट, आनंद आता है जो कि इसे दर्द-रहित भी बनाता है। हार्मोन का यह संतुलन न केवल फिजिकल डिजायर बल्कि मेंटल सेटिस्फेक्शन और इमोशनल इंटिमेसी के लिए भी ज़रूरी होगा है। इसलिए अगर किसी महिला को लगातार यौन इच्छा में कमी, वजाइना में ड्रायनेस जैसी समस्याएं आती हैं तो उसे अपने शरीर के हार्मोनल असंतुलन पर भी ध्यान देना चाहिए।

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