विज्ञान और प्रौद्योगिकी का क्षेत्र सदियों से पुरुष प्रधान रहा है। 20वीं सदी के भारत में तो महिलाओं को विज्ञान में करियर बनाने की अनुमति भी मुश्किल से मिलती थी। उनकी उपलब्धियों को तो और भी कम सराहा जाता था। असीमा चटर्जी ऐसी ही एक महिला थीं।
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