ऐसे मुद्दे जिन पर बात होनी चाहिए लेकिन उन पर चर्चा करने से या सिनेमा के माध्यम से समाज में उनकी जानकारी देने से यह पितृसत्तात्मक समाज असहज हो जाता है क्योंकि इसे डर है अपने अस्तित्व के खत्म होने का, पढे इस ब्लॉग में-
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