Feminist Movies That Were Banned: नारीवाद सोच की फिल्में जिन्हें थिएटर में किया गया बैन
समाज ऐसे बहुत कृत्य करता है जिनसे नारीवादी सोच को दबाया जा सकता है। इसमें हमारी बॉलीवुड इंडस्ट्री और सरकारे भी पीछे नहीं है। कई नारीवादी मुद्दों और समानता के अधिकारों पर बनी फिल्मों को थिएटर में बैन किया गया लेकिन इन फिल्मों को ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज़ किया गया। ऐसे मुद्दे जिन पर बात होनी चाहिए लेकिन उन पर चर्चा करने से या सिनेमा के माध्यम से समाज में उनकी जानकारी देने से यह पितृसत्तात्मक समाज असहज हो जाता है क्योंकि इसे डर है अपने अस्तित्व के खत्म होने का। आइए जानते हैं ऐसी ही फिल्मों के बारे में जो समाज को स्ट्रोंग मैसेज देने के लिए बनाई गई पर थिएटर में उन्हें बैन कर दिया गया।
1. फायर (Fire)
1996 में बनी यह फिल्म होमोसेक्सुअलिटी यानी समलैंगिकता और रिलीजन (धर्म) के मुद्दे पर बात करती है। यह फिल्म बहुत ही जरूरी और स्ट्रोंग मैसेज समाज को देती है लेकिन इस फिल्म को सेंसर बोर्ड और मीडिया ने काफी क्रिटिसाइज किया था।
2. परजानिया
2005 में आई यह फिल्म गुजरात दंगे पर बनी है। यह एक ऐसे लड़के की कहानी है जो गुजरात में हुए दंगे के बीच अपने परिवार से बिछड़ जाता है। इस फिल्म को बहुत आलोचना सहनी पड़ी थी और इसे संसद बोर्ड में बैन कर दिया।
3. लिपस्टिक अंडर माय बुर्का
यह फिल्म पूर्णता नारीवादी सोच पर बनी है। यह फिल्म चार अलग-अलग महिलाओं की कहानी है जो इस पितृसत्तात्मक समाज में अपनी आजादी और खुशीयों को ढूंढती है। लेकिन इस फिल्म को भी थिएटर में रिलीज होने से बैन कर दिया गया था।
4. किस्सा कुर्सी का
1978 में बनी यह फिल्म भी धर्म, सेक्स और समलैंगिकता पर बात करती है और जैसा सेंसर बोर्ड ऐसी दूसरी प्रमुख फिल्मों के साथ करता है वैसा ही इस फिल्म के साथ भी हुआ। सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को भी बैन कर दिया।
5. पार्च्ड
नारीवादी मुद्दों पर बनी इस फिल्म को भी थिएटर में रिलीज होने से बैन कर दिया गया था। यह फिल्म महिलाओं से जुड़े हर उन मुद्दों पर बात करती है जिनका महिला इस पितृसत्तात्मक समाज में रोजाना सामना करती है। यह फिल्म हर उस कड़वी सच्चाई पर बात करती है जिसका सामना आज भी महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक करती हैं।
6. बैंडिट क्वीन
यह फिल्म पहले तो थिएटर में रिलीज हो गई थी लेकिन जल्द ही इसको बैन कर दिया गया था क्योंकि इस फिल्म में क्रूर बलात्कार को दिखाया गया था जिसमें उच्च जाति के लोग जिम्मेदार थे।