ओपिनियन: क्यों लडकियाँ अपने हिसाब से खेलों में भाग नहीं ले सकती हैं। क्यों उनका उछल-कूद करना बाहर खेलना सही नहीं माना जाना जबकि बच्चे तो बच्चे होते हैं वो चाहे लड़का हो या लडकी फिर उनके खेलों में भी जेंडर का भेदभाव क्यों है। अधिक पढ़े इस ब्लॉग में-
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