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किसी में ज्यादा तो किसी में कम लेकिन शर्म सबके अंदर होती ही है। शर्म मतलब बोलना तो चाहते हैं लेकिन बोलने में झिझक होती है। अकेले कमरे में बोलने में डर नहीं लगता हम आराम से बात करते है, लेकिन कुछ लोगों के सामने में बोलने में डर लगता है।
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