हमारा सिनेमा अपनी फिल्म्स के जरिये पितृसत्तात्मक सोच को बढ़ावा देने का एक जरिया बन गया है। इसके जरिये महिलाओ के प्रति मेल टॉक्सिक बेहवियर्स को बहुत सामान्य तौर पर समाज में पेश किया जा रहा है।
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