हमारा समाज आज भी इतना पिछड़ा हुआ है कि यहाँ जब सपनों की बात आती है या अपने पूरे करने की बात आती है तो इसे सिर्फ लड़कों से जोड़ा जाता है। लड़कियां अपने या अपने पेरेंट्स के सपने नही पूरे कर सकती हैं यह आज भी माना जाता है।
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