आखिर क्यों सिर्फ़ माँ को ही अपने बच्चों की गलतियों के लिए ताने सुनने पड़ते हैं? यह सवाल समाज में गहराई से जड़ जमाए मानदंडों और लैंगिक भूमिकाओं को छूता है जो अक्सर माताओं पर अनुचित बोझ और ज़िम्मेदारी डालते हैं।
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