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हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा कि बलात्कार पीड़िता से उनकी वर्गिनिटी के बारे में सवाल करना और टू-फिंगर मेडिकल परीक्षण करना उनकी निजता के अधिकार और शारीरिक और मानसिक अखंडता का उल्लंघन है।
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