Why Digital Spaces Need to Be Safer for Women: आज हम डिजिटल युग का हिस्सा बन गए हैं जिसमें धड़ाधड़ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है जैसे कंप्यूटर, स्मार्टफोन, इंटरनेट और AI आदि। इस युग के आने के बाद हमारे जीवन में बहुत सारे बदलाव आए हैं। हमारे रहन-सहन का तरीका बदल गया है। आज हम अपनी हर चीज के लिए टेक्नोलॉजी के ऊपर निर्भर हो गए हैं जैसे हमारे पास सोशल मीडिया है जिसकी मदद से हम अपनी बात बहुत कम समय में बहुत ज्यादा लोगों के पास पहुंचा सकते हैं। हमारे पास जानकारी का भंडार है। हम किसी भी तरीके की जानकारी बहुत कम समय में ले सकते हैं।
हम घर पर बैठे बहुत सारी सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं जैसे ऑनलाइन शॉपिंग, फूड डिलीवरी, बैंकिंग, मेडिकल सुविधाएं और रिमोट वर्क आदि। ऐसे में अगर हम डिजिटल प्लेटफॉर्म पर महिलाओं की सुरक्षा के बारे में बात करें तो उसको लेकर बहुत सारी चिंताएं हैं जिसके ऊपर आज हम बात करेंगे-
महिलाओं के लिए डिजिटल स्पेस को सुरक्षित बनाना क्यों जरूरी?
सबसे पहले महिलाओं के पास डिजिटल सुविधाओं तक पहुंच बहुत सीमित है। आज भी बहुत सारी महिलाओं के पास डिजिटल सुविधा नहीं है और उनका डिजिटल लिटरेसी रेट बहुत कम है। उन्हें पता ही नहीं होता है कि आज के समय में हमारे पास क्या डिजिटल टूल मौजूद है। यह सब कुछ पितृसत्तात्मक सोच का नतीजा है। इसका बहुत बड़ा प्रभाव हमारे समाज में देखने को मिल रहा है। महिलाओं की डिजिटल पहुंच कम होने के कारण उनकी मौजूदगी बहुत सारे मुद्दों में कम है जिसके कारण आने वाले समय में भी महिला की दशा में सुधार की कोई उम्मीद नहीं लगती। ऐसी सोच के कारण आज भी डिजिटल सुविधा ज्यादातर पुरुषों के पास होती है। ऐसा माना जाता है कि अगर हम महिलाओं को यह सुविधा देंगे तो इससे उनका दिमाग खराब हो सकता है या फिर वह गलत रास्ते पर चल सकती हैं।
ऑनलाइन हरासमेंट से तो हम सब वाकिफ हैं। इसके कारण भी बहुत सारी महिलाओं की डिजिटल प्लेस पर रिप्रेजेंटेशन बहुत कम है क्योंकि महिलाओं के खिलाफ हेट स्पीच बहुत बड़ गई है। उनके लिए कमेंट में ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है जिसके कारण बहुत सारी महिलाएं टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं करती हैं। बहुत सारी महिलाएं साइबर बुल्लिंग का भी शिकार होती है। उनके साथ ऑनलाइन शोषण भी होता है।महिलाओं की बॉडी शेमिंग की जाती है। उनके ऊपर ऐसे कमेंट किए जाते हैं जो उन्हें नीचा दिखाने के लिए होते हैं और महिलाओं को अनरियलिस्टिक बॉडी स्टैंडर्ड को फॉलो करने की शिक्षा दी जाती है। इसके साथ ही महिलाएं Sexism का भी शिकार होती हैं।
डिजिटल स्पेस पर महिलाओं के साथ हरासमेंट भी होती है। आजकल महिलाओं की डीप फेक फोटोस और वीडियो बनाकर भी अपलोड की जाती हैं। इससे महिलाओं की के चरित्र पर सवाल उठाए जाते हैं और साथ ही महिलाओं को ऐसी भाषा बोली जाती है जिसमें गाली-गलौच की जाती है और उन्हें नीचा दिखाया जाता है। समय आ गया है कि हम महिलाओं के लिए डिजिटल स्पेस को ज्यादा सुरक्षित बनाएं ताकि वे इसका अधिक इस्तेमाल कर सकें।