/hindi/media/media_files/vktrkiPLwpE42oTACdIn.png)
File Image
Harshini Kanhekar First Female Firefighter Of India Who Shatters Stereotypes: आग एक ऐसी चीज है, जो अगर कहीं लग जाए तो सब कुछ नष्ट कर देती है। हमारे समाज में कुछ लोग ऐसे हैं जो इस आग से लड़ते हैं ताकि दूसरों की जान और संपत्ति को बचा सकें। फायरफाइटर का काम हमेशा खतरे से भरा होता है। इसलिए, हर साल 4 मई को International Firefighter’s Day मनाया जाता है, ताकि हम उन नायकों को याद करें जो अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की सुरक्षा करते हैं। इस दिन की शुरुआत 1999 में हुई, जब ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में जंगल की आग में पांच फायरफाइटरों की मौत हो गई थी।
International Firefighters' Day पर जानिए भारत की पहली फायरफाइटर Harshini Kanhekar के बारे में
भारत में ज्यादातर पेशे पुरुष प्रधान है, लेकिन कुछ महिलाएँ समाज के नियमों को तोड़कर आगे बढ़ती हैं। उनका दृढ़ संकल्प और साहस उन्हें खास बनाता है। ऐसी ही कहानी है हर्षिणी कनेकर की, जिन्होंने 2002 में भारत की पहली महिला फायर फाइटर बनकर अपनी पहचान बनाई। उस समय तक, दो दशकों से फायर फाइटिंग का क्षेत्र केवल पुरुषों के हाथ में था। लेकिन हर्षिणी ने इस सोच को बदल दिया और महिलाओं के लिए इस क्षेत्र में रास्ते खोल दिए।
हर्षिणी का सफर आसान नहीं था
हर्षिणी का सफर आसान नहीं था, लेकिन उनके जज़्बे ने मुश्किलों को आसान बनाया। वह एक बदलाव की किरण बनकर उभरीं। यह सुनने में सुंदर लगता है, लेकिन हर्षिणी का सफर कठिनाइयों से भरा था। पुरुष-प्रधान क्षेत्र में फायर फाइटर की वर्दी पहनने और देश की सेवा करने का उनका संकल्प उन्हें दूसरों से अलग बनाता है।
यह कॉलेज आपके लिए नहीं है
CNBC-TV18 का 'फ्यूचर फीमेल फॉरवर्ड - सीजन 2' इवेंट में उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें एक समय पर यह बोल दिया गया था कि यह कॉलेज आपके लिए नहीं है। इसके साथ ही वह अपनी कॉलेज की अकेली महिला थीं। उन्होंने कहा, 2002 में, मैं और मेरे पिता नेशनल फायर सर्विस कॉलेज गए। मैंने वहाँ फॉर्म दिखाया, तो एक व्यक्ति ने कहा, "मैडम, ये कॉलेज आपके लिए नहीं है, कहीं और जाइए।" मैंने कहा, "सर, यहाँ लिखा है कि बी.एससी. ग्रेजुएट चाहिए, और मेरे पास डिग्री है।"
आगे उन्होंने बताया कि "कॉलेज में 200 पुरुष उम्मीदवारों में मैं अकेली थी। लोग मुझसे पूछते, "हर्षिणी, तुम्हें अजीब नहीं लगता?" मैं कहती, "नहीं, उन्हें अजीब लगना चाहिए।"
कान्हेकर भारतीय वायुसेना की पूर्व पायलट कैप्टन शिवानी कुलकर्णी को अपनी प्रेरणा मानती है हर्षिनी का जुनून वर्दी पहनना था और अपने देश की सेवा करना था लेकिन इंडियन आर्मी और इंडियन एयर फोर्स में उनका सिलेक्शन नहीं हुआ क्योंकि किस्मत को कुछ और ही मंजूर था ऐसे में उन्होंने अपनी वर्दी का जुनून पूरा करने के लिए फायर सर्विसेज को चुना इसके बाद वह महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र की पहली महिला पायलट थीं, जिन्होंने भारतीय वायुसेना में शामिल होकर कारगिल युद्ध में एंटोनोव एएन-32 उड़ाया।