हो सकता है कि आप मुश्किलों से लड़ने में बहुत माहिर हो। जब भी आपके पास कोई चुनौती यह समस्या आती है तो आप के पास से लड़ने की कुछ स्ट्रेटजी होंगी। लेकिन अगर आपकी स्ट्रेटजी समस्या के हिसाब से बदलेगी तो यह आपके लिए ज्यादा बेहतर है।
दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। एक वह जो अपनी परेशानियों को ख़त्म करने के लिए उनकी वजह ढूंढ कर उसे खत्म करते हैं। और दूसरे वो जो अपनी परेशानियों का आसानी से सामना करने के लिए अपने इमोशंस यानि की भावनाओं पर काम करते हैं।
यह दोनों ही स्ट्रेटजी फायदेमंद होती है लेकिन भावनाओं पर काम करने वाली स्ट्रेटजी ज्यादा बेहतर होती है।
इमोशन फोकस्ड कोपिंग क्या है?
इमोशन फोकस्ड कॉपिंग का मतलब होता है कि आप अपनी समस्याओं या परिस्थितियों को ठीक करने से पहले अपनी भावनाओं पर काम करें। यह आपको परिस्थिति के अनुसार अपनी भावनाओं को ढालने में मदद करता है।
ऐसी बहुत सी परिस्थितियां आती हैं जिन से लड़ना आपके बस में नहीं होता है। उस समय केवल एक ही रास्ता बचता है कि आप अपनी भावनाओं से डील करना सीखें। इस तरह की परिस्थितियों के लिए यह स्ट्रेटजी बेस्ट है।
भावनाओं से डील करने के तरीके -
1. मेडिटेशन
जब भी ऐसी कोई परिस्थिति आए जब आपकी भावनाएं आप पर हावी हो रही हो तो मेडिटेशन कीजिए। मेडिटेशन करने से मुश्किल से मुश्किल समय में भी हम अपने विचारों और अनुभवों के साथ शांति से बैठकर उनके बारे में सोचते हैं।
इससे हमारे दिमाग और आत्मा दोनों को शांति मिलती है। मेडिटेशन कभी भी की जा सकती है। अगर कोई रोज मेडिटेशन करें तो वह अपनी भावनाओं से बेस्ट डील कर पाएगा।
2. जर्नल
जब कुछ गलत होता है तो आपकी मन में बहुत सारी भावनाएं एक साथ आ जाती हैं। सब कुछ बहुत ही कॉम्प्लिकेटेड हो जाता है। आप अपनी इन भावनाओं को दूसरों के साथ शेयर तो करना चाहते हैं लेकिन कर नहीं पाते। ऐसे में अपनी भावनाओं को जर्नल में लिखकर अपनी भड़ास निकालना सबसे अच्छा तरीका है।
3. पॉजिटिव सोच
हमारी आधी से ज्यादा समस्याओं का हल है हमारी पॉजिटिव सोच। अगर हम पॉजिटिव सोचेंगे तो हमारे साथ भी पॉजिटिव ही होगा। पॉजिटिव थिंकिंग को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाने के लिए पॉजिटिव बातें करें। खुद से बातें करना शुरू करें और अपनी जिंदगी की असफलताओं की बजाय सफलता पर फोकस करें।
4. साझा करें
भावना से डील करने का बेस्ट तरीका होता है किसी के साथ अपनी भावनाओं और विचारों को साझा करना। अगर आपके मन में बहुत सारे विचार भरे रहेंगे तो आपको अच्छा महसूस नहीं होगा और इससे स्ट्रेस भी हो सकता है। इसलिए लोगों से कम्युनिकेट करें और अपनी बातें उन से शेयर करें।
5. थेरेपिस्ट
कभी-कभी हमारे इमोशंस की वजह से हमें स्ट्रेस या डिप्रेशन भी हो जाता है। ब्रेकअप या फिर किसी जानलेवा बीमारी से गुजर ना आपके लिए मुश्किल हो सकता है। ऐसे में आपको सब कुछ अकेले सहने की कोई जरूरत नहीं है। आप अपने थैरेपिस्ट से बात करें और अपनी समस्याओं को दूर करें।