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Source: KSCA, via Times of India
इस साल भारतीय क्रिकेट ने एक शांत लेकिन महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की। भारतीय ब्लाइंड महिला क्रिकेट टीम ने पहले महिला टी20 ब्लाइंड क्रिकेट वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया। महीनों की मेहनत और तैयारी के साथ टीम मैदान में उतरी, अपने हेड कोच चंदू वेंकटेशप्पा के मार्गदर्शन में जो अच्छी तरह जानते हैं कि नीचे से ऊपर तक का सफ़र कैसा होता है। वे अनिश्चितता से प्रोफेशनल क्रिकेट तक पहुँचीं और अब एक युवा राष्ट्रीय टीम को वर्ल्ड कप के सेमीफ़ाइनल तक ले जा रही हैं।
मिलिए भारतीय ब्लाइंड महिला क्रिकेट टीम की कोच चंदू वी से जिन्होंने जिताया वर्ल्ड कप
खिलाड़ी से कोच तक: चंदू वेंकटेशप्पा और भारत की ब्लाइंड महिला क्रिकेट टीम की जीत की कहानी
चंदू का जन्म मोगा में हुआ और उनका बचपन बेंगलुरु में बीता। उनका परिवार मेहनत करके घर चलाता था और पिता अस्पताल में वार्ड बॉय थे और माँ घर संभालती थीं। पैसों की हमेशा कमी रहती थी।
क्रिकेट उनकी ज़िंदगी में एक संयोग से आया। उनके स्कूल (आगरा) में कोच दिवाकर जैन ने एक ट्रेनिंग कैंप लगाया और वहीं पहली बार उनकी बॉलिंग पर ध्यान गया। इसके बाद चंदू ने कर्नाटक इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिकेट जॉइन किया, जहाँ कोच इरफ़ान सैत और मोहम्मद नसीरुद्दीन ने उन्हें ट्रेनिंग दी। इस संस्था है ने कई मशहूर खिलाड़ियों को तैयार किया है।
चंदू बस का किराया भी नहीं दे पाती थीं, इसलिए कोचों ने उनसे छोटे खिलाड़ियों को ट्रेनिंग में मदद करने के लिए कहा और इसके बदले उन्हें कुछ पैसे दिए। यही छोटी-सी मदद उन्हें आगे बढ़ने का सहारा बनी और उन्होंने खेल नहीं छोड़ा।
कर्नाटक क्रिकेट में उनका सफ़र बहुत तेज़ी से आगे बढ़ा। उन्होंने 2014-15 में राज्य टीम जॉइन की और अपनी बॉलिंग से सबका ध्यान खींचा। सीनियर विमेंस टी20 ट्रॉफी में वे कर्नाटक की सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज़ रहीं, और दूसरे व्हाइट-बॉल टूर्नामेंट्स में दो बार पाँच विकेट भी लिए।
2021 में चंदू ने 50-ओवर चैलेंजर ट्रॉफी में इंडिया बी की तरफ़ से खेला और वहाँ भी सबसे ज्यादा विकेट लिए। उनके इन शानदार प्रदर्शन ने उन्हें 2022 में विमेंस टी20 चैलेंज में सुपरनोवास टीम तक पहुँचा दिया।
वहाँ चंदू ने हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में खेला और सोफी एक्लेस्टोन व डिआंड्रा डॉटिन जैसी अंतरराष्ट्रीय सितारों के साथ मैदान साझा किया। पहली बार उन्हें लगा कि वे उस दुनिया में पहुँच गई हैं, जिसका उन्होंने हमेशा सपना देखा था।
इस टूर्नामेंट में उनका डेब्यू वैसा नहीं रहा जैसा उन्होंने सोचा था। उन्हें पाँच विकेट नहीं मिले लेकिन इस अनुभव ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया। उनके मुताबिक, बड़े खिलाड़ियों के साथ खेलने से उन्हें अपनी ताकतें और कमज़ोरियाँ सही तरह से समझ में आईं।
वह घबराईं भी, और इसे स्वीकार भी किया। लेकिन उसी घबराहट को उन्होंने सीखने का मौका बनाया। वे दबाव के बावजूद सीखती रहीं, बेहतर बनती रहीं और खुद को लगातार आगे बढ़ाती रहीं।
चंदू के लिए खिलाड़ी से कोच बनने का सफ़र स्वाभाविक था। वह जानती हैं कि अनिश्चितता कैसा महसूस कराती है, बस किराए के लिए पैसे न होना कैसा होता है और कभी-कभी खेल छोड़ने का मन क्यों होता है।
इन्हीं अनुभवों ने उनकी कोचिंग स्टाइल को बनाया है। वह राष्ट्रीय ब्लाइंड महिला टीम को हमेशा खुलकर बात करने, अपने डर को स्वीकार करने और अपनी तैयारी पर भरोसा रखने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
महिला टी20 ब्लाइंड वर्ल्ड कप
टी20 ब्लाइंड वर्ल्ड कप में भारत के प्रदर्शन में अनुशासन और खुलापन साफ़ दिखा। टीम लीग स्टेज में अपराजित रही, ग्रुप मैच में ऑस्ट्रेलिया को हराया, फिर सेमीफ़ाइनल में भी उन्हें मात दी, और फाइनल में नेपाल को सात विकेट से हराकर कोलंबो में ट्रॉफी अपने नाम की।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्लाइंड महिला वर्ल्ड कप सेमीफ़ाइनल से पहले ANI से बात करते हुए चंदू वी ने कहा, “हम अपना 100% देंगे। हमारी टीम बहुत कॉन्फ़िडेंट है। यहाँ तक पहुँचने के लिए हमने बहुत मेहनत की है। हमने कई मुश्किलें पार की हैं।”
टूर्नामेंट में ब्लाइंड क्रिकेट के लिए बनाए गए सफेद रैटलिंग बॉल का इस्तेमाल हुआ और मैच 11 खिलाड़ियों के फॉर्मेट में खेले गए। कई खिलाड़ियों के लिए यह पहला अंतरराष्ट्रीय अनुभव था। चंदू के लिए यह इस बात का सबूत था कि उनकी कोचिंग का तरीका सही दिशा में जा रहा है।
चंदू का सफ़र यह दिखाता है कि भारतीय महिला क्रिकेट की कहानियाँ क्यों महत्वपूर्ण हैं। कई खिलाड़ी बहुत सीमित साधनों से शुरुआत करती हैं, और आगे सिर्फ इसलिए बढ़ पाती हैं क्योंकि सही समय पर किसी ने उन पर भरोसा किया होता है।
फ्री ट्रेनिंग लेने वाली एक छात्रा से लेकर राज्य स्तर की गेंदबाज़, विमेंस टी20 चैलेंज की खिलाड़ी, और अब वर्ल्ड कप जिताने वाली कोच चंदू की कहानी यह साबित करती है कि प्रतिभा बहुत कम सहारे पर भी जिंदा रहती है और अगर किसी को सही समय पर समर्थन, धैर्य और भरोसा मिल जाए, तो उसकी ज़िंदगी पूरी तरह बदल सकती है।
Indian Blind Women’s Cricket Team, winner of the first-ever Blind Women’s T20 World Cup, called on President Droupadi Murmu at Rashtrapati Bhavan. The team presented the President with an autographed cricket bat. The President congratulated the team members on winning the T20… pic.twitter.com/l24mMzvtfk
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 29, 2025
भारतीय ब्लाइंड महिला क्रिकेट टीम अपनी इस बड़ी सफलता पर आगे बढ़ रही है, और इस नए अध्याय के केंद्र में चंदू खड़ी हैं। एक खिलाड़ी के रूप में उनका अनुभव उन्हें दबाव को समझने में मदद करता है, और एक कोच के रूप में उनका दृष्टिकोण टीम में अपनी ताकत पर भरोसा करने की क्षमता पैदा करता है।
चंदू की कहानी आगे भी उन खिलाड़ियों को प्रेरित करती रहेगी जो कठिन हालात से उठकर भारत की जर्सी पहनने का सपना देखते हैं।
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