Women In Leadership: भारतीय रेलवे, जो देश की जीवनरेखा है, महिला सशक्तिकरण के मामले में भी नया इतिहास रच रहा है। रेल मंत्रालय के शीर्ष निकाय, रेलवे बोर्ड में अब महिला अधिकारी प्रमुख पदों पर आसीन हैं। महिलाओं का यह बढ़ता प्रतिनिधित्व ना केवल रेलवे, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है।
रेलवे बोर्ड में महिलाओं का बढ़ता वर्चस्व
हाल ही में रेलवे बोर्ड ने अपने सदस्यों की नियुक्ति में ऐतिहासिक फैसला लिया। अब बोर्ड में अधिकांश महत्वपूर्ण पदों पर महिला अधिकारी ही विराजमान हैं। सीमा कुमार को सदस्य (संचालन और व्यापार विकास), अरुणा नायर को सचिव, नवीन गुलाटी को महानिदेशक (मानव संसाधन) और सतीश कुमार को सदस्य (कर्षण और रोलिंग स्टॉक) के रूप में नियुक्त किया गया है। सतीश कुमार को जया वर्मा सिन्हा के सेवानिवृत्त होने के बाद अगले सीईओ के रूप में एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है।
रेलवे लेखा अधिकारी रूपा श्रीनिवासन अंतरिम सदस्य (वित्त) के रूप में बनी हुई हैं, क्योंकि एसीसी ने इस पद के लिए किसी का नाम नहीं लिया है। कुछ दिन पहले, श्रीनिवासन, जो पहले उप सदस्य थीं, को 31 दिसंबर, 2023 को अंजलि गोयल के सेवानिवृत्त होने के बाद सदस्य (वित्त) का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।
हालांकि, श्रीनिवासन को वडोदरा में राष्ट्रीय रेल अकादमी (एनएआईआर) के महानिदेशक के रूप में मंजूरी दी गई है। यदि एसीसी श्रीनिवासन को सदस्य के रूप में मंजूरी देता है, तो महिलाएं नीति-निर्माण बोर्ड में बहुमत बनाएंगी। कुलपति द्वारा अभी इस निर्णय को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
रेलवे क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती उपस्थिति
पिछले नवंबर में, रेलवे ने शोभना बंद्योपाध्याय को महाप्रबंधक (सचिव स्तर) पश्चिम मध्य रेलवे के रूप में नियुक्त किया था, जो उस स्तर तक पहुँचने वाली पहली महिला रेलवे इंजीनियर थीं। सितंबर में, जया वर्मा सिन्हा अपने 166 साल के इतिहास में बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष और सीईओ बनीं। सिन्हा अध्यक्ष के रूप में पदोन्नति से पहले बोर्ड की सदस्य (संचालन और व्यापार विकास) थीं।
रेलवे में महिलाओं का बढ़ता नेतृत्व काबिल-ए-तारीफ है। यह न केवल रेलवे को आधुनिक बनाने में मदद कर रहा है, बल्कि लैंगिक समानता की दिशा में एक सकारात्मक संदेश भी दे रहा है। भारत सरकार के इस कदम की सराहना की जानी चाहिए और आशा है कि भविष्य में महिलाओं की भागीदारी और बढ़ेगी।