Venice Film Festival में चमकी अनुपर्णा रॉय, मिला ‘बेस्ट डायरेक्टर’ अवॉर्ड

भारतीय फिल्ममेकर अनुपर्णा रॉय ने वेनिस फिल्म फेस्टिवल के ओरिज़ोंटी सेक्शन में अपनी फिल्म Songs of Forgotten Trees के लिए ‘बेस्ट डायरेक्टर’ का सम्मान हासिल किया है।

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Rajveer Kaur
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Indian filmmaker Anuparna Roy wins Best Director at Venice Film Festival’s Orizzonti section

Photograph: (X via AIR News)

Indian filmmaker Anuparna Roy wins Best Director at Venice Film Festival’s Orizzonti section: वेनिस फिल्म फेस्टिवल में भारतीय फिल्ममेकर अनुपर्णा रॉय ने इतिहास रच दिया है। 82वें वेनिस फिल्म फेस्टिवल के ओरिज़ोंटी सेक्शन में उनकी फिल्म Songs of Forgotten Trees के लिए अनुपर्णा रॉय को ‘बेस्ट डायरेक्टर’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह जीत सिर्फ़ उनके व्यक्तिगत सफर तक सीमित नहीं रही, बल्कि भारतीय सिनेमा की गहराई और ताकत को भी वैश्विक मंच पर उजागर किया। वह ये अवार्ड जीतने वाली पहली फीमेल भारतीय डायरेक्टर बनीं।

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वेनिस फिल्म फेस्टिवल में चमकी अनुपर्णा रॉय, मिला ‘बेस्ट डायरेक्टर’ अवॉर्ड

भारतीय फिल्ममेकर अनुपर्णा रॉय ने वेनिस फिल्म फेस्टिवल के ओरिज़ोंटी सेक्शन में अपनी फिल्म Songs of Forgotten Trees के लिए ‘बेस्ट डायरेक्टर’ का सम्मान हासिल किया है।

शिक्षा और शुरुआती सफर

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उनके शुरुआती सफर की बात की जाए तो अनुपर्णा रॉय का जन्म पश्चिम बंगाल के पुरुलिया ज़िले के नारायणपुर में हुआ और उनकी परवरिश कुल्टी में हुई। उन्होंने स्थानीय स्कूलों से पढ़ाई की और बर्धमान यूनिवर्सिटी से अंग्रेज़ी ऑनर्स में ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद दिल्ली से मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स किया और कुछ समय आईटी कंपनी में काम भी किया। उन्होंने कॉल सेंटर ओर आईटी सेक्टर में सेल्स एग्जीक्यूटिव के रूप में भी काम किया है। साल 2020 के आसपास उन्होंने मुंबई जाकर अपने असली जुनून, फ़िल्ममेकिंग, को करियर बनाया। उन्होंने अनुपम खेर के एक्टर प्रीपेयर्स इंस्टीट्यूट में डिप्लोमा किया है। 

फ़िल्म और विषय

Songs of Forgotten Trees अनुपर्णा रॉय की दूसरी फ़िल्म है। यह फ़िल्म मुंबई की दो प्रवासी महिलाओं की ज़िंदगी पर आधारित है, जिसमें यादों, दोस्ती और जज़्बे की कहानी को बुना गया है। फ़िल्म का फोकस उन महिलाओं की कहानियों पर है, जिन्हें अक्सर मुख्यधारा के सिनेमा में नज़रअंदाज़ किया जाता है।

उन्होंने कहा, "यह फ़िल्म हर उस औरत को समर्पित है जिसे कभी चुप कराया गया, नज़रअंदाज़ किया गया या कम आंका गया। उम्मीद है कि यह जीत औरतों की और आवाज़ें, और कहानियाँ और और ताक़त लाएगी—सिनेमा में भी और उसके बाहर भी।"

वैश्विक मुद्दों पर आवाज़

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अवॉर्ड लेते समय अनुपर्णा रॉय ने अपने संबोधन में फ़लस्तीन के बच्चों के लिए आवाज़ उठाई। उन्होंने कहा “हर बच्चे को शांति, आज़ादी और सुरक्षा का हक़ है। फ़लस्तीन के बच्चे भी इसका अपवाद नहीं हैं। यह वक़्त है कि हम फ़लस्तीन के साथ खड़े हों।” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी यह बात शायद उनके देश को नाराज़ कर सकती है, लेकिन अब यह उनके लिए मायने नहीं रखता। अनुपर्णा रॉय की यह उपलब्धि साबित करती है कि जुनून, मेहनत और संवेदनशील नज़रिए से ही असली सफलता हासिल की जा सकती है।