/hindi/media/media_files/2025/09/05/judi-singh-the-voice-that-carried-culture-and-strength-2025-09-05-18-37-11.png)
Photograph: (The DOXA Documentary Film Festival Via Homegrown.co.in)
जुडी सिंह की ज़िंदगी सिर्फ़ संगीत की कहानी नहीं है। यह पहचान, अपनापन और उस हिम्मत की कहानी है कि कैसे इंसान अपने लिए जगह बनाता है जब समाज उसे पूरी तरह स्वीकार नहीं करता। जुडी सिंह एक ब्लैक-सिख महिला थीं, जिनका जन्म 20वीं सदी के बीच में अल्बर्टा (कनाडा) में हुआ। यह जगह न तो विविधता के लिए जानी जाती थी और न ही जैज़ संगीत के लिए। लेकिन जुडी अपनी अलग पहचान और बेहतरीन आवाज़ से सबके बीच अलग नज़र आती थीं।
जैज़ में अपनी अलग पहचान बनाने वाली पंजाबी-कैनेडियन जैज़ आर्टिस्ट Judi Singh कौन हैं?
शुरुआती जीवन और परिवार
जुडी सिंह का जन्म 9 मई 1945 को एडमंटन में हुआ। उनके पिता, सोहन सिंह भुल्लर, अल्बर्टा में सबसे पहले बसने वाले पंजाबी सिखों में से थे। उनकी माँ, एफ़ी जोन्स, ब्लैक कनाडाई महिला थीं, जो एम्बर वैली से थीं। यह एक ऐसा इलाका था जहाँ अमेरिका से आए अश्वेत लोग नस्लीय हिंसा से बचकर बसे थे।
जुडी ने बचपन से ही सिख और ब्लैक, दोनों परंपराओं को साथ-साथ देखा। उनके घर में गॉस्पेल गाने, हिंदुस्तानी धुनें और जैज़ म्यूज़िक गूंजता था। यही अलग-अलग रंगों का संगीत बाद में उनकी आवाज़ और स्टाइल में झलकने लगा। इस दोहरी पहचान का मतलब यह भी था कि जुडी को अक्सर समाज में अपनी जगह बनाने और अलग पहचान साबित करने के लिए संघर्ष करना पड़ा।
संगीत की शुरुआत
छोटी उम्र से ही जुडी को परफ़ॉर्म करना पसंद था। सिर्फ़ 17 साल की उम्र में उन्होंने एडमंटन के मशहूर जैज़ क्लब यार्डबर्ड सुइट में गाना शुरू किया। उनकी आवाज़ ने तुरंत सबका ध्यान खींचा। 1960 के दशक में उन्होंने CBC (कनाडा ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन) के लिए गाने रिकॉर्ड किए और गिटारिस्ट लेनी ब्रेयू जैसे कलाकारों के साथ काम किया, जो उनकी कला के बहुत बड़े प्रशंसक थे।
चुनौतियाँ और मुश्किलें
जुडी सिंह की कला बेहतरीन थी, लेकिन इसके बावजूद उन्हें बड़ी सफलता नहीं मिल पाई। इसकी वजह सिर्फ़ उनकी मेहनत या किस्मत नहीं थी, बल्कि उस दौर का समाज और संगीत इंडस्ट्री भी थी। 20वीं सदी के बीच के कनाडा में संगीत की दुनिया ज़्यादातर मर्दों के कब्ज़े में थी। अगर किसी महिला को आगे बढ़ाया भी जाता, तो अक्सर सिर्फ़ गोरियों को, न कि रंगीन महिलाओं को।
एक ब्लैक-सिख महिला होने के कारण जुडी को "मार्केटेबल" यानी बिकाऊ चेहरा नहीं माना गया। उनके साथी संगीतकार उनकी बहुत इज़्ज़त करते थे, लेकिन रिकॉर्ड कंपनियाँ उन्हें ज़्यादा मौके नहीं देती थीं। इसी वजह से जुडी को “musicians’ musician” कहा गया कि मतलब कलाकारों के बीच बेहद सम्मानित, लेकिन आम जनता के लिए लगभग अनजानी।
उनकी निजी ज़िंदगी भी आसान नहीं थी। गिटारिस्ट लेनी ब्रेयू के साथ उनका रिश्ता जटिल था। और जैसे कई महिला कलाकारों को झेलना पड़ता है, वैसे ही जुडी को भी कला और समाज की औरतों से जुड़ी उम्मीदों, दोनों का बोझ उठाना पड़ा।
बाद के साल और दोबारा पहचान
1970 के दशक तक जुडी क्लबों और फेस्टिवलों में गाती रहीं, लेकिन उनकी रिकॉर्डिंग बहुत कम रही। शादी के बाद उन्होंने संगीत को करियर की तरह आगे नहीं बढ़ाया और धीरे-धीरे उनका नाम सुर्ख़ियों से गायब हो गया।
कई साल बाद उनकी कहानी फिर सामने आई। 2020 में कोरोना लॉकडाउन के दौरान शोधकर्ता पौशाली मित्रा ने Alberta Sikh History Project पर काम करते हुए जुडी का नाम देखा। “सिंह” उपनाम से प्रभावित होकर उन्होंने जुडी की ज़िंदगी पर गहराई से रिसर्च शुरू की और एक ऐसी महिला की कहानी सामने लाई जो हर परिभाषा से आगे थी।
विरासत
जुडी सिंह पर “Have You Heard Judi Singh?” नाम की डॉक्यूमेंट्री बनी, जिसे DOXA Film Festival में दिखाया गया। आज भी उनकी दुर्लभ रिकॉर्डिंग्स नए जैज़ प्रेमियों और आर्काइव करने वालों द्वारा फिर से सुनी जा रही हैं।
नारीवादी नज़र से
फेमिनिस्ट दृष्टिकोण से जुडी सिंह की ज़िंदगी दिखाती है कि किस तरह रंग, जेंडर और संस्कृति की वजह से उनकी आवाज़ को दबा दिया गया। वह अपने दौर की बड़ी जैज़ गायिकाओं के बराबर थीं, लेकिन पूर्वाग्रहों ने उन्हें रोक दिया। यह वही अनुभव है जो कई रंगीन महिला कलाकारों ने झेला छोटे दायरों में सराही गईं, लेकिन बड़े इतिहास से गायब कर दी गईं।
हिम्मत की पहचान
आज जुडी सिंह सिर्फ़ एक गायिका नहीं, बल्कि हिम्मत, मिश्रित पहचान और रचनात्मकता की प्रतीक हैं। उनकी कहानी याद दिलाती है कि असली संस्कृति किताबों के संकरे इतिहास से कहीं ज़्यादा समृद्ध है। उन्हें याद करना मतलब उन महिलाओं को आवाज़ देना है जिन्हें चुप करा दिया गया था।