The Loneliness of Sonia and Sunny’ से बुकर लॉन्गलिस्ट में लौटीं किरण देसाई

किरण देसाई की नई किताब 'The Loneliness of Sonia and Sunny' बुकर प्राइज की लॉन्गलिस्ट में शामिल हुई है। ये एक आत्म-खोज और बड़े होने की कहानी है, जो जाति, नस्ल, इतिहास और पीढ़ियों के रिश्तों को छूती है।

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Rajveer Kaur
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**Kiran Desai Returns to Booker Prize Longlist with Her First Novel in 19 Years

भारतीय मूल की लेखिका किरण देसाई की किताब 'The Loneliness of Sonia and Sunny' को 2025 बुकर प्राइज की लॉन्गलिस्ट में शामिल किया गया है। यह कहानी दो भारतीय युवाओं की है — सोनिया, जो एक लेखक बनना चाहती है, और सनी, जो एक संघर्षरत पत्रकार है। दोनों अमेरिका में अपनी ज़िंदगी और समाज की चुनौतियों का सामना साथ में करते हैं।

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The Loneliness of Sonia and Sunny’ से बुकर लॉन्गलिस्ट में लौटीं किरण देसाई

यह एक coming-of-age कहानी है, जिसमें जाति, नस्ल, इतिहास और पीढ़ियों के बीच जटिल रिश्तों जैसे विषयों को छुआ गया है। किरण देसाई ने कहा, "मुझे लगता है कि केवल एक उपन्यास ही उस कड़वे सच को दिखा सकता है, जिसे लोग अपने मन में छुपाकर जीते हैं और हर रोज़ समझौता करते हैं।"

यह किताब लगभग दो दशक बाद किरण देसाई का पहला प्रकाशित उपन्यास है। बुकर पुरस्कार की जूरी ने इसे उनका "अब तक का सबसे साहसिक और परिपक्व काम" बताया है। किरण देसाई को इससे पहले 2006 में 'The Inheritance of Loss' के लिए भी बुकर प्राइज मिल चुका है। यह किताब 25 सितंबर को आने की उम्मीद है।

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बुकर लॉन्गलिस्ट में किरण देसाई की वापसी

Booker Prize के अनुसार, 'The Loneliness of Sonia and Sunny' दो भारतीयों की कहानी है, जो अमेरिका में एक रात की ट्रेन यात्रा के दौरान पहली बार मिलते हैं और एक-दूसरे से तुरंत जुड़ जाते हैं। सोनिया और सनी अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं, लेकिन साथ मिलकर खुशियों की तलाश में निकलते हैं और इस दौरान आधुनिक दुनिया की अलगाव भरी सच्चाइयों का सामना करते हैं।

Penguin से बातचीत में किरण देसाई ने कहा: "दो आधुनिक भारतीयों के बीच कभी ना सुलझने वाले रिश्ते को हल्के-फुल्के अंदाज़ में पेश करते हुए यह उपन्यास पूर्व और पश्चिम में प्रेम और अकेलेपन की अलग-अलग सोच और भावनाओं की पड़ताल करता है। आज की वैश्वीकृत दुनिया के सामाजिक और भावनात्मक नक्शे पर।"

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किरण देसाई कौन हैं?

किरण देसाई दिल्ली में जन्मी एक मशहूर लेखिका हैं। वह जानी-मानी लेखिका अनीता देसाई की बेटी हैं।

उन्होंने अपना बचपन पंजाब और मुंबई में बिताया, और फिर अपनी माँ के साथ ब्रिटेन चली गईं। बाद में वह अमेरिका में बस गईं। उनकी पहली किताब 'Hullabaloo in the Guava Orchard' साल 1998 में प्रकाशित हुई थी, जिसे काफी सराहना मिली थी।

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2006 में बुकर जीतने वाली सबसे कम उम्र की महिला बनीं किरण देसाई

किरण देसाई की 2006 में आई किताब 'The Inheritance of Loss' को न सिर्फ बुकर प्राइज, बल्कि National Book Critics Circle Fiction Award भी मिला था। उस समय उनकी उम्र 35 साल थी, और वे बुकर प्राइज जीतने वाली सबसे कम उम्र की महिला बन गईं।

यह उपन्यास हिमालयी क्षेत्र में आधारित है और इसमें पहचान, सांस्कृतिक टकराव और औपनिवेशिक इतिहास के असर जैसे मुद्दों को संवेदनशीलता से दर्शाया गया है। 2008 में, देसाई ने गेट्स फाउंडेशन के साथ मिलकर आंध्र प्रदेश के एक सेक्स वर्कर्स समुदाय पर रिपोर्टिंग की। 2009 में, उन्हें उनके विश्वविद्यालय कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने Medal for Excellence से सम्मानित किया।

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बुकर प्राइज 2025 लॉन्गलिस्ट — लेखक/लेखिका के नाम हिंदी में:

Misinterpretation — लेडिया ज़्होगा

Seascraper — बेंजामिन वुड

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Flesh — डेविड सज़ाले

Endling — मारिया रेवा

The Land in Winter — एंड्रू मिलर

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The Rest of Our Lives — बेन मार्कोविट्स

Audition — केटी कितामुरा

The Loneliness of Sonia and Sunny — किरण देसाई

Flashlight — सूज़न चोई

One Boat — जोनाथन बक्ली

Universality — नताशा ब्राउन

The South — टैश ऑ

Love Forms — क्लेयर ऐडम