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Sandeshkhali Incident: पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा को लेकर राज्य की स्थिति कहां जा रही है?

भारत देश के पश्चिम बंगाल राज्य में, एक छोटा गांव संदेशखाली में हुई वहां की महिलाओं के साथ दरिंदगी की सीमा पार। जहाँ हम सोचते हैं कि लोगों की सोच इससे ज्यादा नहीं गिर सकती, समाज के कुछ ऐसे हैवान हमें बार-बार गलत साबित कर देते हैं।

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Ayushi Jha
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Sandeshkhali (The Economic Times)

(Image Source: The Economic Times)

Sandeshkhali Incident Raises Concerns About Women's Safety in West Bengal : भारत देश के पश्चिम बंगाल राज्य में, एक छोटे गांव संदेशखाली में हुई वहां की महिलाओं के साथ दरिंदगी की सीमा पार। जहाँ हम सोचते हैं कि लोगों की सोच और नियत इससे ज्यादा नहीं गिर सकती, समाज के कुछ ऐसे हैवान हमें बार-बार गलत साबित कर देते हैं। पश्चिम बंगाल की रूलिंग पार्टी, TMC (त्रिणमूल कांग्रेस पार्टी) के लीडर शाजहाँ शेख और उसके गुंडों ने मिलकर संदेशखाली में घर-घर जाकर वहां की महिलाओं को ढूंढ कर उनके साथ सेक्सुअल असॉल्ट किया करते थे भी पुलिस प्रोटेक्शन में होने के बावजूद। घर-घर जाकर, सबसे काम उम्र की और सबसे अच्छी दिखने वाली लड़कियों को ढूँढा जाता था, उन्हें जबरन अपने साथ ले जाया जाता था, उनके घरवालों, माँ-बाप और पतियों के लाख भीख मांगने के बाद भी। किसी की बेटी उठती तो किसी की बहु। सालों से शाजहाँ और उसके आदमियों का यह अत्याचार महिलाएं सहती आ रही है। 

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पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा को लेकर राज्य की स्थिति कहां जा रही है?

एहसान तो दूर की बात, इंसानियत में लोग कैसे पीछे छूठ गए, यह पता लगाना अब जैसे ना मुमकिन सा हो गया है। जो पुरुष औरतों के कोख में 9 महीने रह कर इस दुनिया में आते हैं, वही पुरुष, औरतों की इज़्ज़त करना नहीं सीख पाते। उस गावं की महिलाएं मदद की गुहार लगा रही हैं आज पूरे देश से, पूरे समाज से की उनके गांव में उनकी बहु-बेटियां सुरक्षित नहीं है। उनके पतियों से कहा जाता है कि उनकी पत्नियों पर उनका कोई अधिकार नहीं है, सिर्फ नाम के लिए उनके पति हैं वो। 

वहां की महिलाएं हर पल इस खौफ में रहती है की कभी भी अगले टारगेट वो हो सकते हैं। हर पल ऐसे डर में जीना क्या हो सकता है, यह हम अपने सुरक्षित घरों में बैठके सुन तो लेते हैं, लेकिन उसके लिए आवाज़ उठाने में बहुत पीछे खड़े हैं। संदेशखाली की महिलाएं, इन्साफ के लिए इंतज़ार कर रही हैं कि कब इस लोकतंत्र देश में, उनके राज्य और उनके गांव में उन्हें सुरक्षित मेहसूस होगा? कब देश का न्याय उनके हक़ में होगा और कब वो चैन से, बिना डरे वापिस अपने घरों में रह पाएंगी? क्या ये उम्मीद करना उनकी भूल है? क्या न्याय मिलना उनके किस्मत में नहीं होगा?

Sandeshkhali
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