कौन हैं केरल की Vasanthi Cheruveettil? जिन्होंने 59 की उम्र में अकेले की एवरेस्ट बेस कैंप की चढ़ाई

केरल की वासंती चेरुवेटिल ने 59 की उम्र में फरवरी 2025 में एवरेस्ट बेस कैंप की यात्रा पूरी कर मिसाल कायम की है। इसके साथ ही उनके पास कोई फॉर्मल ट्रेनिंग नहीं थी लेकिन कुछ करने का जज्बा था।

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Rajveer Kaur
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Vasanthi Cheruveettil

Photograph: (Onmanorama)

Vasanthi Cheruvettil Reaches Base Camp at 59: कुछ लोगों के लिए उम्र कुछ न करने का एक बहाना है लेकिन कुछ लोगों के लिए उनकी बढ़ती हुई उम्र सिर्फ एक नंबर है जो किसी भी तरीके से उनके सपनों के बीच नहीं आती है। ऐसे ही केरल की वासंती चेरुवेटिल हैं, जिन्होंने 59 की उम्र में फरवरी 2025 में एवरेस्ट बेस कैंप की यात्रा अकेले पूरी कर मिसाल कायम की है। इसके साथ ही उनके पास कोई फॉर्मल ट्रेनिंग नहीं थी लेकिन कुछ करने का जज्बा था। चलिए उनकी प्रेरणादायक यात्रा के बारे में जानते हैं-

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कौन हैं केरल की Vasanthi Cheruveettil? जिन्होंने 59 की उम्र में अकेले की एवरेस्ट बेस कैंप की चढ़ाई

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वासंती चेरुवेटिल की उम्र 59 साल है। वह केरल के किन्नौर से संबंध रखती हैं। वह कमाई के लिए दर्जी का काम करती हैं। उन्होंने बिना किसी फॉर्मल ट्रेनिंग के अकेले एवरेस्ट बेस कैंप तक चढ़ाई की। उनकी लर्निंग में सबसे अहम रोल यूट्यूब वीडियो का था जिन्हें देखकर उन्होंने तैयारी की। उन्होंने अकेले ही चैलेंज के साथ लड़ने के लिए खुद को तैयार किया। उन्होंने घर पर चार महीने तक ट्रेनिंग ली जिसमें रोज़ाना कुछ घंटे पैदल चलना, ट्रेकिंग बूट पहनकर अभ्यास करना और दोस्तों के साथ पाँच से छह किलोमीटर की शाम की सैर पूरी करना और एक्सरसाइज करना शामिल था। एक समय उनके दोस्त  उन पर हंसते थे।

वासंती ने यह यात्रा 15 फरवरी को नेपाल के सुरके से शुरू की। उनकी यह यात्रा नौ दिनों की थी। 23 फरवरी को वह साउथ बेस कैंप (5,364 मीटर) पहुँचीं। यह यात्रा इतनी आसान नहीं थी। लुक्ला के लिए उनकी फ्लाइट रद्द हो गई। इस समय एक जर्मन जोड़े ने उनकी मदद की। रास्ते में, उनकी मुलाक़ात दुनिया भर के ट्रेकर्स से हुई, जिनमें केरल और असम के एक पिता-पुत्र की जोड़ी भी शामिल थी।

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उनका मानना ​​है कि एक महिला के तौर पर अकेले यात्रा करना मुश्किल नहीं है। उन्होंने कहा, "जब तक आपको पता है कि आपके लिए क्या सही है और अपने रास्ते पर चलने का दृढ़ संकल्प है, तब तक सब कुछ बिल्कुल ठीक है।"

ट्रेक के दौरान, वह प्रतिदिन छह से सात घंटे पैदल चलती थीं, ऊँचाई और मौसम को संभालने के लिए बीच-बीच में ब्रेक लेती थीं, जिसमें एक कुली उनकी मदद करता था। बेस कैंप में, उन्होंने पारंपरिक कसावु साड़ी पहनकर और भारतीय ध्वज लहराकर जश्न मनाया।

वासंती चेरुवेटिल एक विधवा महिला है। वह कमाई के लिए सिलाई का काम करती हैं। व्यवसाय से अपनी यात्राओं का खर्च उठाती है। यह उनकी पहली यात्रा नहीं है। इससे पहले, मई 2024 में थाईलैंड की यात्रा भी अकेले कर चुकी है।

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उनका अगला लक्ष्य चीन की महान दीवार पर जाना है, जिसके लिए वह बड़े पैमाने पर ट्रेनिंग लेने की योजना बना रही है।

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