Advertisment

महिलाओं के कपड़ों में जेब न होने का राज: फैशन या पितृसत्ता?

क्या आप कभी इस बात पर गौर किया है कि आपके पास 30 में से 29 ड्रेस जेबों के बिना हैं? यह सिर्फ आप ही नहीं हैं। ज्यादातर महिलाओं के कपड़ों में जेबें नहीं होती हैं। यह एक फैशन ट्रेंड से ज्यादा है, यह एक गहरी जड़ें जमाए हुए लैंगिक असमानता का प्रतीक है।

author-image
Vaishali Garg
New Update
Decoding the Fashion Industry's Sexist Pocket Policy

Decoding the Fashion Industry's Sexist Pocket Policy : क्या आप कभी इस बात पर गौर किया है कि आपके पास 30 में से 29 ड्रेस जेबों के बिना हैं? यह सिर्फ आप ही नहीं हैं। ज्यादातर महिलाओं के कपड़ों में जेबें नहीं होती हैं। यह एक फैशन ट्रेंड से ज्यादा है, यह एक गहरी जड़ें जमाए हुए लैंगिक असमानता का प्रतीक है। आइए इस फैशन रहस्य को उजागर करें और देखें कि महिलाओं के कपड़ों में जेबों की कमी के पीछे क्या कारण हैं।

Advertisment

महिलाओं के कपड़ों में जेब न होने का राज: फैशन या पितृसत्ता?

मध्यकालीन युग से लेकर आधुनिक फैशन तक

मध्यकाल में, न तो पुरुषों और न ही महिलाओं के कपड़ों में जेबें होती थीं। दोनों ही कमर से बंधी रस्सी से जुड़े थैलों का इस्तेमाल करते थे। 17वीं शताब्दी में, अंततः जेबों का आविष्कार हुआ, लेकिन केवल पुरुषों के लिए। उस समय पुरुष ही काम के लिए बाहर जाते थे, इसलिए उनके कपड़ों को जेबों के साथ कार्यात्मक होना आवश्यक था। दूसरी ओर, महिलाओं को बाहर जाने की आवश्यकता नहीं मानी जाती थी, इसलिए उन्हें जेबों की आवश्यकता क्यों पड़ती?

Advertisment

जब फैशन विकसित हुआ, तब उच्च-कमर, फिटेड कपड़े लोकप्रिय हुए, जिनमें सांस लेना भी मुश्किल था, ऐसे में जेबों की कल्पना तो दूर की बात थी। इसलिए महिलाओं ने छोटे सजावटी बैग, जिन्हें "रेटिकुल्स" कहा जाता था, का इस्तेमाल करना शुरू किया, जो इतने छोटे थे कि उनमें मुश्किल से एक रूमाल या कुछ सिक्के ही समा सकते थे।

डिजाइनरों की मानसिकता और हैंडबैग उद्योग का प्रभाव

कुछ प्रसिद्ध डिजाइनरों का मानना है कि पुरुषों के कपड़ों में जेबें चीजें रखने के लिए होती हैं, जबकि महिलाओं के कपड़ों में सजावट के लिए। यह मानसिकता और कार्यात्मकता पर ध्यान न देकर केवल डिज़ाइन पर ध्यान देने से महिलाओं के कपड़ों में जेबों की कमी का कारण बनती है।

Advertisment

हैंडबैग उद्योग 50 अरब डॉलर का उद्योग है। यह स्पष्ट है कि अगर कपड़ों में जेबें होंगी तो हैंडबैग कौन खरीदेगा? इसलिए, कुछ हद तक, महिलाओं के कपड़ों में जेबों की कमी को हैंडबैग उद्योग के हितों से जोड़ा जा सकता है।

आगे का रास्ता

महिलाओं के कपड़ों में जेब की कमी केवल एक फैशन की कमी नहीं है, बल्कि यह लैंगिक असमानता और सामाजिक मानदंडों का प्रतिबिंब है। हमें इस बात पर ज़ोर देना चाहिए कि कपड़े न केवल सुंदर बल्कि उपयोगी भी हों। हालांकि, कई ब्रांड इस बदलाव को लाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। हमें उम्मीद है कि भविष्य में फैशन उद्योग महिलाओं की जरूरतों को समझेगा और कार्यात्मकता और स्टाइल के बीच संतुलन बनाएगा। 

Advertisment

आपका क्या कहना है? क्या आपको लगता है कि महिलाओं के कपड़ों में जेबें होनी चाहिए? नीचे कमेंट करके अपनी राय दें!

 

Advertisment
fashion sexist पितृसत्ता कपड़ों में जेब न होने का राज
Advertisment