कहानियाँ हमें उन बातों पर ध्यान दिलाती हैं जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। वे दिखाती हैं कि महिलाएँ डर, हिम्मत और रोज की चुनौतियों के बीच कैसे अपना जीवन संभालती हैं। जब हम इन अनुभवों को पर्दे पर देखते हैं, तो हम अपने आसपास की दुनिया के बारे में और कठिन सवाल पूछने लगते हैं।
दिल्ली क्राइम 3: महिलाओं की सुरक्षा और उम्मीद की नई कहानी
दिल्ली क्राइम की सच्चाई और उम्मीद
दिल्ली क्राइम ऐसी ही एक कहानी है जो हमें उन सच्चाइयों का सामना करवाती है जिनसे हम अक्सर मुंह मोड़ लेते हैं और फिर भी यह याद दिलाती है कि हिम्मत और बदलाव दोनों संभव हैं।
SheThePeople की रुचि चोपड़ा मक्कड़ से बातचीत में, हाल में रिलीज हुए सीजन तीन की टीम ने बताया कि कैसे शो के ये विषय वास्तविक अनुभवों से प्रेरित हैं और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर फैली चुप्पी को चुनौती देते हैं।
इस बातचीत में शामिल थे अभिनेत्री शेफाली शाह और हुमा कुरैशी, निर्देशक तानुज चोपड़ा, निर्माता माइकल होगन और नेटफ्लिक्स इंडिया की वेब सीरीज हेड तान्या बामी।
शहर, अपराध और साहस
शेफाली शाह ने बताया कि उनका किरदार डीआईजी वार्तिका चौधरी एक मजबूत और भावुक इंसान है। वह हर बात को गहराई से महसूस करती है, लेकिन खुद को संभालकर अपना काम करती रहती है। शेफाली ने कहा, “वह सब महसूस करती है, लेकिन जानती है कि कब रुकना है और जरूरी काम पूरा करना है।”
शेफाली के अनुसार, बहुत सी महिलाएँ इसी तरह जीती हैं। वे भावनाओं से भरी होती हैं, फिर भी काम करती रहती हैं। वे दबाव सहती हैं और फिर भी सब कुछ संभाल लेती हैं।
हुमा कुरैशी ने बताया कि इस सीरीज का हिस्सा बनना उनके लिए क्यों खास था। वह पहले सीजन से ही इसकी बड़ी प्रशंसक रही हैं। उन्होंने कहा, “ऐसा लगा जैसे किसी फैन को अंदर बुला लिया गया हो।”
उन्होंने नए सीजन की कहानी की तारीफ की और कहा कि यह काफी मजबूत और ध्यान खींचने वाली है। उनका किरदार काफी गंभीर और हिंसक है। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए अब तक का सबसे मुश्किल और परेशान करने वाला रोल है।
किरदार की गहराई और अपराध का चक्र
हुमा ने कहा, “मैं शूट के दौरान कुछ बहुत बुरा कर लेती थी। कट होने के बाद सोचती थी, मैं क्या कर रही हूँ?”
उन्होंने बताया कि अपने किरदार को समझने के लिए उन्होंने अपराध के चक्र को समझने की कोशिश की।
उन्होंने कहा, “जब आप किसी अपराध को नहीं रोकते, तो वही अपराध आगे चलकर और अपराधियों को पैदा करता है।”
महिलाओं की सुरक्षा और समाज की सोच
बातचीत आगे बढ़ते हुए महिलाओं की सुरक्षा पर आ गई। शेफाली और हुमा दोनों ने बताया कि वे हर शहर में कुछ सुरक्षा आदतें अपनाती हैं। वे यह देखते हैं कि कौन सा साधन लेना है, होटल कैसे चुनना है और हमेशा सतर्क रहना है।
हुमा ने कहा कि अपराध के मामलों पर समाज की प्रतिक्रिया में एक पैटर्न नजर आता है। महिलाओं से कहा जाता है कि वे घर में रहें, जबकि पुरुषों को शायद ही कभी जिम्मेदार ठहराया जाता है। उन्होंने इस सोच को गलत और नुकसानदायक बताया।
उम्मीद और बदलाव की दिशा
तान्या बामी ने कहा कि कई महिलाएँ डर के साथ जीती हैं, लेकिन बदलाव की शुरुआत हो चुकी है।
एक महिला नेता और बेटी की माँ के रूप में उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने वाला हर कदम मायने रखता है।
उन्होंने कहा, “आगे की राह की हर ईंट पर हमारा नाम होना चाहिए।" और यह भी कि, “सबसे अंधेरे पल के बाद, सुरंग के आखिर में, उम्मीद हमारे ही भीतर मिलती है।”
कहानी की ताकत और असलीपन
तान्या ने कहा कि कहानियों में महिलाओं की मौजूदगी जरूरी है। उनका कहना था कि कहानी को हमेशा सच्चाई से कहना चाहिए, बिना किसी खास नजर के दबाव के।
निर्देशक तानुज चोपड़ा ने कहा कि वह शूटिंग के दौरान सिर्फ इस बात पर ध्यान देते हैं कि दृश्य सच्चा लगे या नहीं। उनके अनुसार, “क्या मैं शेफाली को सच मान रहा हूँ, क्या मैं हुमा को सच मान रहा हूँ? यही सच्चाई शो की ताकत बनती है।
निर्माता माइकल होग ने भी कहा कि शो की असली शक्ति इसकी ईमानदारी है, न कि बड़े नाटकीय दृश्य।
दिल्ली क्राइम सीजन तीन की पहचान
माइकल ने बताया कि वे हर सीजन में यह ध्यान रखते हैं कि कहानी का गलत फायदा न उठे और शो की असली पहचान बनी रहे।
दिल्ली क्राइम सीजन तीन हिंसा की सच्चाई दिखाते हुए भी उन लोगों की जिंदगी को केंद्र में रखता है जो इसकी कहानी हैं। टीम का कहना है कि वे डरावनी लेकिन सच्ची और संवेदनशील कहानियाँ दिखाना चाहते हैं क्योंकि बदलाव तभी आता है जब हम सच का सामना करते हैं।
/hindi/media/agency_attachments/zkkRppHJG3bMHY3whVsk.png)
Follow Us