हेमा मालिनी: परंपरागत परिवार से बॉलीवुड की ‘ड्रीम गर्ल’ तक

हेमा मालिनी ने भरतनाट्यम सीखने वाली एक लड़की से बॉलीवुड की मशहूर ‘ड्रीम गर्ल’ बनने तक लंबा सफर तय किया। शुरुआत में उन्हें कई बार मना किया गया और लोगों ने उन्हें जज किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

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Rajveer Kaur
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हेमा मालिनी की परवरिश चमक-दमक और शोहरत के बीच नहीं हुई थी। तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में जन्मी हेमा का बचपन भी अपनी उम्र की बाकी लड़कियों की तरह स्कूल, दिनचर्या और दिल में बसे सपनों के साथ बीता। जो बात उन्हें सबसे अलग बनाती थी, वह थी उनका नृत्य के प्रति प्यार। केवल छह साल की उम्र में उन्होंने भरतनाट्यम सीखना शुरू किया। फिल्मों से पहले मंच ही उनका पहला संसार बन गया था।

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हेमा मालिनी: परंपरागत परिवार से बॉलीवुड की ‘ड्रीम गर्ल’ तक   

हेमा की माँ को यकीन था कि उनकी बेटी पर्दे के लिए बनी है। उन्होंने बहुत पहले ही हेमा की प्रतिभा, सादगी और मंच पर उनकी मौजूदगी को पहचान लिया था जब दुनिया ने अभी तक उन्हें देखा भी नहीं था।

लेकिन उनके पिता पारंपरिक सोच वाले थे, इसलिए वे इस बात से सहमत नहीं थे। इस मतभेद ने घर में तनाव पैदा कर दिया।

फिर भी, इस तनाव ने हेमा को तोड़ा नहीं बल्कि और मज़बूत बना दिया। वह लगातार अभ्यास करती रहीं, सपने देखती रहीं, और अपनी माँ के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ती रहीं।

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फिल्मी सफर 

फिल्मों तक पहुंचना हेमा मालिनी के लिए आसान नहीं था। अपनी पहली फिल्म से पहले, एक बार उन्हें यह कहकर मना कर दिया गया कि वह “बहुत दुबली” हैं। यह बात उन्हें बुरी लगी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जहां बहुत लोग ऐसी बातों से टूट जाते हैं, वहीं हेमा ने इसे अपनी ताकत बना लिया।

साल 1968 में उन्होंने सपनों का सौदागर फिल्म से अपना करियर शुरू किया। उनकी सुंदरता और सादगी ने सबका दिल जीत लिया, और जल्द ही लोग उन्हें “ड्रीम गर्ल” कहने लगे।

1972 वो साल 

साल 1972 में हेमा मालिनी के करियर ने एक नया मोड़ लिया। सीता और गीता फिल्म में उन्होंने दो किरदार निभाए और दोनों को अपने अलग अंदाज़, भावनाओं और ऊर्जा से ज़िंदा कर दिया।

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उनका अभिनय सिर्फ़ अच्छा नहीं था, बल्कि यादगार था। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला, और वह हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी सितारों में शामिल हो गईं। दर्शक उनकी स्क्रीन पर मौजूदगी को पसंद करते थे, निर्देशक उनकी अनुशासनप्रियता की तारीफ़ करते थे, और उनके साथी कलाकार उनकी प्रतिभा का सम्मान करते थे। उन्होंने रोमांटिक, ड्रामेटिक और एक्शन-कॉमेडी जैसी हर तरह की फिल्मों में काम किया।

महिलाओं के लिए प्रेरणा 

हेमा मालिनी उस समय की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गईं, जब फिल्मों में अक्सर महिलाओं से अपेक्षा की जाती थी कि वे शांत और पीछे रहें।

साल 1970 में तुम हसीन मैं जवान की शूटिंग के दौरान धर्मेंद्र हेमा के प्यार में पड़ गए, और धीरे-धीरे उनका रिश्ता मजबूत हुआ। साल 1980 में उन्होंने धर्मेंद्र से शादी कर ली, हालांकि वह पहले से ही विवाहित थे। इस फैसले पर आलोचना और विवाद भी हुआ। लेकिन हेमा मालिनी ने जनता की राय के आगे नहीं झुकीं। उन्होंने अपने दिल की सुनी और अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जिया, ठीक वैसे ही जैसे उन्होंने अपना करियर बनाया।

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शादी के महिला का जीवन नहीं रुकता 

हेमा मालिनी कभी यह नहीं मानती थीं कि शादी के बाद एक महिला को अपने काम से पीछे हट जाना चाहिए। वह सोचती थीं कि शादी क्यों किसी महिला के सपनों को खत्म कर दे। और फिर उन्होंने अपने काम से यह गलत साबित कर दिया।

उन्होंने अभिनय और प्रदर्शन जारी रखा। वह फिल्मों और क्लासिकल नृत्य दोनों में सक्रिय रहीं। अपने करियर में उन्होंने 150 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, और हर फिल्म, हर प्रदर्शन के साथ अपनी एक मजबूत विरासत बनाई।

उनकी यात्रा अस्वीकृति, परिवार के दबाव और जनता की आलोचना से भरी रही। लेकिन हेमा ने हमेशा डटकर सामना किया, अपने लक्ष्य पर ध्यान रखा, विश्वास बनाए रखा और ऐसे जीवन का चुनाव किया जिसमें महत्वाकांक्षा थी, जबकि समाज उनसे चुप रहकर पीछे हटने की उम्मीद करता।

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सिर्फ ऐक्टर नहीं एक मिसाल 

आज हेमा मालिनी केवल एक सितारा नहीं, बल्कि ताकत की मिसाल मानी जाती हैं। उनका जीवन यह साबित करता है कि हिम्मत और मेहनत से क्या कुछ हासिल किया जा सकता है।

वे “ड्रीम गर्ल” इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने बड़े सपने देखे और किसी को भी उन्हें छीनने नहीं दिया। उनका जीवन यह याद दिलाता है कि सादगी और ताकत एक ही इंसान में साथ रह सकती है, और किसी महिला को अपनी राह चुनने के लिए किसी की अनुमति की जरूरत नहीं होती।