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Shweta Tripathi
अलग अलग भूमिकाओं और उल्लेखनीय अभिनय कौशल के लिए जानी जाने वाली श्वेता त्रिपाठी शर्मा ने बड़े पर्दे के साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म दोनों पर अपनी न मिटने वाई छाप छोड़ी है। अपने अभिनय कौशल के अलावा, वह सामाजिक मुद्दों का समर्थन और फिल्म उद्योग और समाज में समानता को बढ़ावा देने के प्रति समर्पण के लिए जानी जाती हैं।
शीदपीपल की टूर सीरीज में प्रतिभाशाली अभिनेत्री श्वेता त्रिपाठी से बात की यहाँ पर उन्होंने मनोरंजन में अपनी यात्रा पर चर्चा की और फिल्म उद्योग और समाज दोनों में अन्याय के खिलाफ खड़े होने और आलोचनात्मक न होने के महत्व पर जोर दिया।
हम खुद को और दूसरों को समझने में दूर हो गए है और आँकड़ों और नंबरों में फँस कर रह गए है चाहे वो स्क्रीन के लिए हो या पैसे के लिए। लेकिन मानवता का जो मूल है- भावनाएँ उनके बारे में क्या? मेरे लिए यह नेक इरादे और अपनी भावनाओं को स्वीकार करना बहुत ज़रूरी है। अपने दिल की सचाई को सुने और बाहरी प्रभाव की परवाह किए बिना वो करें जो आपको सही लगता है लोगों की परवाह मत कीजिए की कोई आपके बारे में क्या सोचता है या फिर आओको जज कर रहा है? सिर्फ़ अपने आप को सुने।
जजमेंट एक दलदल की तरह जिसमें आप फँसते जाते है: श्वेता त्रिपाठी
अभिनेत्री कहती है उन्हें जजमेंट का पूरा कॉन्सेप्ट ही पसंद नहीं है। वे जानती है वे अच्छा कर सकती है। जजमेंट एक दलदल की तरह जिसमें आप फँसते जाते है लेकिन फ़ायदा कोई भी नहीं होता है इसलिए मैं इससे दूर रहती हूं क्योंकि यह सीमित हो सकती है। मैं स्वयं का मूल्यांकन न करने का प्रयास करती हूं, और मैंइससे भी बचती हूँ कि दूसरे के बारे में भी जजमेन्ट मत दो। जब आप गैर जरुरी मामलों पर ध्यान केंद्रित करना बंद कर देते हैं और यह निर्धारित करते हैं कि वास्तव में क्या मायने रखता है तब आप अनावश्यक निर्णयों को छोड़ देते हैं तो जीवन सरल, स्वस्थ और बेहतर हो जाता है।
लिंग भेदभाव पर श्वेता का कहना है घर पर समानता थीं लड़के या लड़की के लिए कुछ अलग नहीं था। हमें बिना किसी ऐसे भेदभाव के बड़ा क्या गया है।जब मैं स्टैंड लेती हूं, तो यह सिर्फ मेरे लिए नहीं बल्कि सभी महिला कलाकारों और नए कलाकारों के लिए होता है, जो आगे आएंगे। अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना, भले ही इसे मुश्किल माना जाता हो, एक ऐFeatuसी चीज़ है जिसे मैं स्वीकार कर चुकी हूँ। मैं यह सुनिश्चित चाहती हूँ हूं कि किसी को भी उसके लिंग, रूप-रंग, उम्र, वर्ग, कार या आवाज के आधार पर निर्णय का सामना न करना पड़े।
ऐक्टर बताती है इस बात में कोई शक नहीं अगर आप किसी चीज़ पर बोलते है तो मुझे बहुत बार उसके लिए प्यार और इज्जत मिली है। इसके बाद अभिनेता ने अपने विचार साझा किए कि कैसे अपनी आवाज का उपयोग करना उन्हें सशक्त बनाता है, समाज जो हो रहा है उसका प्रतिबिंब है, और यह न केवल फिल्म इंडस्ट्री पर लागू होता है बल्कि लॉयर , कॉर्पोरेट नौकरियों या बैंकिंग जैसे अन्य व्यवसायों पर भी लागू होता है।
शर्मा का मानना है कि पुरुषों और महिलाओं दोनों को उस चीज़ के लिए खड़ा होना चाहिए जिसमें वे विश्वास करते हैं। वह स्वयं सहित व्यक्तियों से आग्रह करती हैं कि वे अपने वैल्यू से समझौता न करें या केवल दूसरों को खुश करने के लिए अपनी आवाज़ न दबाएँ। इसके साथ कहती हैं कि इरादे की शुद्धता में बहुत ताकत होती है और हर किसी को सकारात्मक बदलाव लाने के लिए उस शक्ति का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, यहां तक कि फिल्म उद्योग के भीतर भी।