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Indian Weddings की ये 7 चीजें अच्छी नहीं हैं

भारतीय शादियों के बारे में कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें अब बदलना जरूरी हैं। चलिए जानते हैं उन चीजों के बारे में जो अभी भी हमारी शादियों का हिस्सा हैं लेकिन हमें उनकी जरुरत नहीं है -

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Rajveer Kaur
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8 Aspects Of Indian Weddings That Need To Change: शादी में जाना, नए कपड़े बनवाना, स्वादिष्ट खाना खाना, लड़के वालों से पंगा लेना या जूता चुराना ऐसे कितनी सारी चीजें हैं जो हमें शादियों में करने में बहुत मजा आता है। लेकिन भारतीय शादियों के बारे में कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें अब बदलना जरूरी हैं। चलिए जानते हैं उन चीजों के बारे में जो अभी भी हमारी शादियों का हिस्सा हैं लेकिन हमें उनकी जरुरत नहीं है   

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Indian Weddings की ये 7 चीजें अच्छी नहीं हैं

1. शादी का खर्चा: क्या आपको पता है एक इंडियन शादी में कितना खर्चा होता है। लोग 20 लाख से लेकर 5 करोड़ तक भी खर्चा करते हैं और इसमें ज्यादातर खर्चा ब्राइड की फैमिली पर किया जाता है। क्या यह अच्छा ऑप्शन नहीं है कि अगर दोनों परिवार मिलजुलकर खर्चा करें।  

2. नजर: क्या आप उसे नजर को पहचानते हैं जो आपके मनपसंद ब्लाउज पहनने के लिए मिलती है? यह आपकी मर्जी है कि क्या पहनना है चाहे लो कट हो, हाई कट हो या स्लीवलेस। लेकिन भारतीय शादियों में आप ऐसा कर नहीं सकते हैं क्योंकि आपको लगातार घूरा जाएगा या फिर आपकी चॉइस को गलत ठहराया जाएगा। आपके बारे में बातें बनाई जाएंगी, आपके चरित्र पर सवाल उठाए जाएंगे जैसे फैमिली फंक्शन में कैसे कपड़े पहने हैं। आजकल की लड़कियों को तो शर्मी नहीं है और हम तो ऐसे कपड़े पहनते नहीं हैं।

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3. तुम्हारा नंबर कब आएगा: शादी पर एक सवाल सबसे ज्यादा पूछा जाता है कि बेटा तुम्हारा नंबर कब आएगा या फिर अब इसके बाद तुम्हारा नंबर है। आप शादी को अटेंड करने आए हैं और ऐसा पूछकर आपका पूरा मूड खराब कर दीया जाता है। आप को क्या है? लोगों को दूसरी की लाइफ में दखलअंदाजी नहीं करनी चाहिए। हमारे पेरेंट्स इस बात को कहने के लिए बहुत हैं। हमारे पास चिंता करने के लिए और भी चीजें हैं। लाइफ में सब कुछ शादी ही नहीं है। 

4. हर किसी के मेकअप को जज करना: अगर कोई मेकअप ना करें तो प्रॉब्लम होती है कि कैसे उठ कर आ गई और अगर कोई मेकअप करके आई है तो बोलेंगे कि देखो कितना मेकअप लगाकर आ गई है। इसके साथ ही दुल्हन को भी नहीं छोड़ते, उसका दिन है। उसकी शादी पर आकर उसे ही बुरा बोलते हैं।

5. रस्में: इसके बाद शादी की कुछ रस्में आती हैं अगर उन्हें समझने बैठ जाओ तो बहुत ज्यादा पितृसत्तात्मक लगता है। क्या यह रस्में हमारी शादी के फाउंडेशन हैं? ऐसा कुछ भी नहीं है। आखिर में विदाई सेरेमनी को हमें कितना सीरियस ले लेना चाहिए? विदाई के वक्त लड़की रोती रहती है और उसके पेरेंट्स रोते रहते हैं। विदाई का मतलब घर से पूरी तरह से जाना नहीं होता है। हमें बचपन से सिखाया है कि लड़कियां तो पराया धन होती हैं। लेकिन नहीं, मायका उसका घर है, था और रहेगा। 

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6. पल्लू ठीक करो: हमेशा ब्राइड को पल्लू ठीक करो, पल्लू ठीक करो बोलते रहते हैं। अगर डांस करेंगे तो पल्लू या कपड़े इधर-उधर तो हो ही जाएंगे। अपनी सोच को ठीक करें। उसे अपना पल्लू ठीक करना है या नहीं, उसकी मर्जी है।

7. दहेज: दहेज आज भी समाज के कई हिस्सों में प्रचलित है। इस बात को समझा जाए तो यह भी लड़की वालों की फैमिली के ऊपर ही प्रेशर है। इस प्रथा को बिल्कुल खत्म करना चाहिए। लड़की वालों को भी चाहिए कि अगर लड़के वालो की तरफ से दहेज की मांग हो रही है तो तुरंत मना करना चाहिए और ऐसी जगह रिश्ता ही नहीं करना चाहिए। यह किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है।

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