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Marriage Tips: शादी में दुल्हन का एंजॉय करना क्यों गलत माना जाता है?

टॉप-विडियोज़: दुल्हन का अपनी शादी में एंजॉय करना गलत नहीं है, लेकिन समाज इसे अलग नजरिए से देखता है। समाज मानता है कि दुल्हन को शर्माना चाहिए।

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Trishala Singh
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Why is it Wrong for the Bride to Enjoy Her Own Wedding: भारत में शादी को एक पवित्र और महत्वपूर्ण सामाजिक समारोह माना जाता है। यह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं, बल्कि दो परिवारों का भी मिलन होता है। परंपराओं और रीति-रिवाजों के इस माहौल में, दुल्हन के व्यवहार को लेकर कई सामाजिक धारणाएँ और अपेक्षाएँ होती हैं। अक्सर, दुल्हन के लिए कहा जाता है कि उसे शर्माना चाहिए, धीमे चलना चाहिए, ज्यादा नहीं हंसना चाहिए और डांस नहीं करना चाहिए क्योंकि यह "मॉडर्न" माना जाता है। लेकिन, क्या यह सच में सही है?

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Marriage Tips: शादी में दुल्हन का एंजॉय करना क्यों गलत माना जाता है?

शादी की खुशी

शादी एक ऐसा अवसर है जब दुल्हन और दूल्हा अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं। यह दिन उनके लिए सबसे खास होता है और उन्हें इसे पूरी तरह से एंजॉय करने का हक है। अगर दुल्हन अपनी खुशी व्यक्त नहीं कर सकती, तो वह कैसे अपने नए जीवन की शुरुआत को पूरी तरह से जी सकेगी? खुशी और संतुष्टि व्यक्त करने का अधिकार हर व्यक्ति को है और इसमें कोई भी बाधा डालना अनुचित है।

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परंपरागत धारणाएँ और महिलाओं पर दबाव

हमारे समाज में परंपरागत धारणाएँ महिलाओं पर कई तरह के दबाव डालती हैं। उन्हें कहा जाता है कि उन्हें कैसे व्यवहार करना चाहिए, क्या पहनना चाहिए और कैसे बोलना चाहिए। दुल्हन के लिए शर्माना, धीमे चलना और कम हंसना जैसी अपेक्षाएँ सिर्फ पुरानी धारणाओं का परिणाम हैं, जो यह मानते हैं कि महिलाओं को "शालीन" और "संयमित" रहना चाहिए। यह सोच उन्हें अपनी खुद की पहचान और खुशी से दूर करती है।

स्वतंत्रता और आत्म-अभिव्यक्ति का अधिकार

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हर व्यक्ति को स्वतंत्रता और आत्म-अभिव्यक्ति का अधिकार है। अगर दुल्हन अपनी शादी में नाचना चाहती है, हंसना चाहती है और अपनी खुशी का इजहार करना चाहती है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। यह उसकी जिंदगी का महत्वपूर्ण दिन है और उसे इसे अपनी तरह से जीने का पूरा हक है। किसी के व्यक्तिगत पसंद और अभिव्यक्ति पर सवाल उठाना सही नहीं है।

कई बार कहा जाता है कि अगर दुल्हन अपनी शादी में डांस करती है या खुलकर हंसती है तो वह "मॉडर्न" हो जाती है। लेकिन, यह आधुनिकता वास्तव में प्रगति और स्वतंत्रता की पहचान है। महिलाओं को उनके अधिकार और स्वतंत्रता से वंचित करना उन्हें पीछे ले जाना है। अगर समाज वास्तव में प्रगतिशील बनना चाहता है, तो उसे महिलाओं के साथ समान व्यवहार करना होगा और उन्हें उनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों को खुलकर जीने देना होगा।

सामाजिक दबाव और मानसिक स्वास्थ्य

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दुल्हन पर सामाजिक दबाव डालना उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल सकता है। वह अपनी खुद की शादी में खुद को सहज महसूस नहीं कर पाती और उसे हमेशा यह सोचकर रहना पड़ता है कि लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे। यह चिंता और तनाव को जन्म देता है। इसलिए, समाज को यह समझना होगा कि किसी व्यक्ति की खुशी और संतुष्टि सबसे महत्वपूर्ण है, और उसे किसी भी प्रकार के दबाव से मुक्त होना चाहिए।

समाज को यह समझना होगा कि शादी का अवसर दुल्हन और दूल्हे दोनों के लिए सबसे खास होता है और उन्हें इसे पूरी तरह से एंजॉय करने का हक है। परंपरागत धारणाओं और सामाजिक दबावों को तोड़ते हुए, हमें महिलाओं को उनके अधिकार और स्वतंत्रता के साथ जीने देना चाहिए। दुल्हन को अपनी शादी में खुलकर हंसने, नाचने और अपनी खुशी का इजहार करने का पूरा हक है। इससे न केवल उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि समाज भी एक प्रगतिशील दिशा में आगे बढ़ेगा। हर व्यक्ति की खुशी और संतुष्टि का सम्मान करना ही एक सच्चे और प्रगतिशील समाज की पहचान है।

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